
भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
रोहिंग्या मुस्लिमों ने केंद्र सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में केंद्र सरकार के दावे को बेबुनियाद करार दिया गया है. याचिकाकर्ता रोहिंग्या मुस्लिम सलीमुल्ला और अन्य ने हलफनामे में कहा कि उनका इस्लामिक स्टेट या किसी अन्य आंतकी संगठन से कोई रिश्ता नहीं है. हलफनामे में कहा गया है कि रोहिंग्या शांति पसंद लोग हैं और आतंकी गतिविधियों में तो दूर की बात है, आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल नहीं हैं. केंद्र सरकार के वापस भेजने के फैसले से रोहिंग्या की जान खतरे में पड़ गई है क्योंकि म्यांमार में उन्हें टॉर्चर किया जाएगा और हत्या भी की जा सकती है. हलफनामे में जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के विधानसभा में दिए गए बयान का भी जिक्र है जिसमें महबूबा ने कहा है कि रोहिंग्या के खिलाफ कोई केस नहीं है.
यहां तक कि श्रीलंका के नागरिक के मामले तमिलनाडु में बकायदा कमेटी है जो ये जांच करती है किसके लिट्टे से संबंध हैं या आपराधिक रिकार्ड है. ऐसे लोगों को स्पेशल कैंप में रखा जाता है. भारत के नागरिक रोहिंग्या को दया की भावना से देखते हैं जबकि म्यांमार की सेना टॉर्चर करती है. इसी कारण रोहिंग्या जान बचाकर भारत आए हैं. वहां उनकी हत्या की जा रही है और घर जला दिए गए हैं. इसलिए वो सिर्फ अवैध प्रवासी नहीं हैं बल्कि उन्हें भारत सरकार द्वारा साइन की गई कई अंतरराष्ट्रीय संधियों के मुताबिक सरंक्षण दिया जाना चाहिए. उनके वापस भेजने पर रोक लगाई जानी चाहिए.
यहां तक कि श्रीलंका के नागरिक के मामले तमिलनाडु में बकायदा कमेटी है जो ये जांच करती है किसके लिट्टे से संबंध हैं या आपराधिक रिकार्ड है. ऐसे लोगों को स्पेशल कैंप में रखा जाता है. भारत के नागरिक रोहिंग्या को दया की भावना से देखते हैं जबकि म्यांमार की सेना टॉर्चर करती है. इसी कारण रोहिंग्या जान बचाकर भारत आए हैं. वहां उनकी हत्या की जा रही है और घर जला दिए गए हैं. इसलिए वो सिर्फ अवैध प्रवासी नहीं हैं बल्कि उन्हें भारत सरकार द्वारा साइन की गई कई अंतरराष्ट्रीय संधियों के मुताबिक सरंक्षण दिया जाना चाहिए. उनके वापस भेजने पर रोक लगाई जानी चाहिए.
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