भारत ने आज कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों की सही संख्या अज्ञात है. विदेश मंत्रालय का मानना है कि अधिकांश भारतीयों को युद्धग्रस्त देश से सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि कुछ अभी भी वहां रह गए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि नंबर बदलते रहते हैं जैसे जैसे लोग संपर्क करते हैं. हमारा मानना है कि जो लौटना चाहते थे उसमें से ज़्यादातर लौट चुके हैं. हाँ कुछ तादाद अभी भी है लेकिन उसका सही आंकड़ा हमारे पास नहीं है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान से 550 से अधिक लोगों को निकाला गया है. 260 भारतीय और बाक़ी अफ़ग़ान और तीसरे देश के नागरिक हैं. अमेरिका के साथ काफ़ी नज़दीकी समन्वय रहा. अफगानिस्तान में हालात और अस्थिर हैं. पहली प्राथमिकता लोगों को निकालने की है. वहां सरकार को लेकर अब भी अनिश्चितता है. हम हालात पर नज़र रखे हुए हैं. समय के हिसाब से फ़ैसला लिया जाएगा.
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मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हम कुछ अफगान नागरिकों के साथ-साथ अन्य देशों के नागरिकों को भी बाहर लाने में सफल रहे हैं. इनमें से कई सिख और हिंदू थे. मुख्य रूप से हमारा ध्यान भारतीय नागरिकों पर होगा, लेकिन हम उन अफगानों के साथ खड़े होंगे जो हमारे साथ खड़े थे."
बागची ने कहा, "पिछली उड़ान में 40 लोग थे. हमें रिपोर्ट मिल रही थी कि अफगान नागरिकों को हवाई अड्डे तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. हम जानते हैं कि अफगान सिख और हिंदुओं सहित कुछ अफगान नागरिक 25 अगस्त को हवाई अड्डे पर नहीं पहुंच सके. हमारी उड़ान को उनके बिना आना पड़ा."
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उन्होंने कहा कि भारत आने के इच्छुक अफगान शरणार्थियों का जिक्र करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छह महीने के आपातकालीन ई-वीजा की घोषणा की है. मंत्रालय ने कहा कि भारत अमेरिका, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ निकासी का समन्वय कर रहा है. प्रवक्ता ने कहा कि ताजिकिस्तान में दुशांबे हवाई अड्डे का इस्तेमाल किया गया. जबकि उज्बेकिस्तान और ईरान के हवाई क्षेत्र को भारत के लिए खोल दिया गया था.
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