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This Article is From Jan 16, 2020

तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन छोड़कर जाए, तो हमें कतई परवाह नहीं : DMK

स्थानीय निकाय चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में DMK द्वारा गठबंधन धर्म नहीं निभाए जाने के कांग्रेस के एक नेता के आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया में DMK के कोषाध्यक्ष दुरई मुरुगन ने बुधवार को यह टिप्पणी की.

तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन छोड़कर जाए, तो हमें कतई परवाह नहीं : DMK
DMK के कोषाध्यक्ष दुरई मुरुगन.
नई दिल्ली:

तमिलनाडु में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) और कांग्रेस के बीच असहमति की वजह से उनके गठबंधन में बना तनाव का माहौल उस समय नए गर्त में पहुंच गया, जब DMK के एक नेता ने कहा कि उनकी पार्टी को इस बात की 'कतई परवाह नहीं' है कि कांग्रेस गठबंधन छोड़ देगी.

स्थानीय निकाय चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में DMK द्वारा गठबंधन धर्म नहीं निभाए जाने के कांग्रेस के एक नेता के आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया में DMK के कोषाध्यक्ष दुरई मुरुगन ने बुधवार को यह टिप्पणी की. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "अगर वे गठबंधन छोड़ते हैं, तो छोड़ने दीजिए... क्या नुकसान है...? हमें परवाह नहीं, अगर कांग्रेस गठबंधन छोड़ देती है... कम से कम मुझे तो कतई परवाह नहीं..."

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस की गैर-मौजूदगी में DMK का वोट प्रतिशत घटेगा, दुरई मुरुगन ने कहा, "नहीं, हरगिज़ नहीं... बल्कि अगर उनका (कांग्रेस का) कोई वोट शेयर होगा, तो हमारा घट जाएगा..."

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इस टिप्पणी पर कांग्रेस के सांसद कार्ती चिदम्बरम ने भी त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया, "यह समझ वेल्लोर के संसदीय उपचुनाव से पहले क्यों नहीं आई...?"

DMK और कांग्रेस के बीच आई दरार उस समय सार्वजनिक हो गई थी, जब कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के.एस. अलागिरी ने DMK प्रमुख एम.के. स्टालिन पर उचित संख्या में स्थानीय निकाय प्रमुखों के पद कांग्रेस को नहीं देकर धोखा देने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि 27 जिला पंचायत प्रमुख पदों में से एक भी उन्हें नहीं दिया गया.

इसके बाद नाराज़ DMK ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आहूत विपक्षी दलों की उस बैठक का बहिष्कार किया, जिसमें नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर रणनीति बनाने पर चर्चा की गई.

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यह घटनाक्रम काफी हैरान करने वाला रहा, क्योंकि दोनों पार्टियों के ताल्लुकात काफी करीबी माने जाते रहे हैं. एम.के. स्टालिन तो पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान (कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष) राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताते हुए कांग्रेस-नीत गठबंधन के सबसे मुखर समर्थकों में से एक थे.

DMK नेता टी.आर. बालू ने कहा कि के.एस. अलागिरी को उनके मुखिया के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान देने से बचना चाहिए था. लोकसभा सांसद टी.आर. बालू ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था, "हमने बैठक में इसलिए शिरकत नहीं की, क्योंकि हमारे मुखिया पर गठबंधन धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाया गया... यह बयान DMK प्रमुख पर सीधा आरोप लगाता है..."

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हालांकि के.एस. अलागिरी इसके बाद सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान अपने बयान को लेकर कथित रूप से अफसोस जता चुके हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन सहयोगी इस विवाद से आगे बढ़कर साथ काम कर सकते हैं, टी.आर. बालू ने कहा, "यह समय ही बताएगा कि संबंध पुराने स्तर पर पहुंच पाए हैं या नहीं..."

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