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This Article is From Jul 22, 2020

विकास दुबे कांड : CJI ने UP सरकार से कहा - सुनिश्चित करें, राज्य में ऐसी घटना फिर न हो

Vikas Dubey Encounter Case: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने यूपी सरकार से कहा कि सुनि़श्चित करें कि राज्य में ऐसी घटना फिर से नहीं हो. 

विकास दुबे कांड : CJI ने UP सरकार से कहा - सुनिश्चित करें, राज्य में ऐसी घटना फिर न हो
Vikas Dubey Encounter: विकास दुबे कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में होगी
नई दिल्ली:

कानपुर के गैंगस्‍टर विकास दुबे एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) मामले में कोर्ट की निगरानी में CBI या SIT जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. शीर्ष न्यायालय ने यूपी सरकार से कहा कि दुबे मामले से निपटने वाले अधिकारियों की भूमिका और निष्क्रियता की जांच करें. इस बात की भी जांच हो कि जमानत रद्द करने के क्या प्रयास किए गए थे. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने विकास दुबे मामले की जांच कर रहे यूपी सरकार के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. प्रधान न्यायाधीश ने यूपी सरकार से कहा कि सुनि़श्चित करें कि राज्य में ऐसी घटना फिर से नहीं हो. 

विकास दुबे कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान के नेतृत्व में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के सुझाव पर मुहर लगाई. उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता भी जांच आयोग में शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते में जांच आयोग काम शुरू करे.  यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि जस्टिस चौहान लॉ कमीशन के चेयरमैन भी रह चुके हैं और  उन्होंने जांच आयोग के लिए सहमति भी जताई है. 

सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमीशन को एक हफ्ते में गठित करने को.कहा, जो उसके अगले एक हफ्ते में जांच शुरू कर देगी.  न्यायालय ने कहा कि सचिव.स्तर के अधिकारी केन्द्र सरकार मुहैया कराएगी यूपी सरकार नहीं. दो महीने में आयोग अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा. आयोग हर पहलू की गंभीरता से जांच करेगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग ये रिपोर्ट यूपी सरकार को भी देगा, जिसे वो कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के तहत विधानसभा में रखेगी.

इससे पहले, सुनवाई में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह एनकाउंटर फर्जी नहीं था और तेलंगाना मुठभेड़ से अलग था. वहां आरोपी हार्ड कोर अपराधी नहीं थे, लेकिन विकास दुबे पर 64 आपराधिक मामले दर्ज थे. तेलंगाना में आरोपियों को घटनास्थल पर ले जाया गया लेकिन यहां एक दुर्घटना हुई और इसे साबित करने के लिए सामग्री साक्ष्य उपलब्ध हैं. 

यूपी सरकार ने यह भी कहा कि तेलंगाना ने मजिस्ट्रेट जांच या न्यायिक आयोग का आदेश नहीं दिया लेकिन जहां यूपी ने जांच आयोग का गठन किया है. वहीं एसआईटी भी गठित की है. विकास दुबे  ने 80 के आसपास अपराधी छत के ऊपर तैनात  किए थे. उसने आत्मसमर्पण नहीं किया, बल्कि उसे उज्जैन पुलिस ने हिरासत लिया था. दुर्घटना स्थल (भौंती) के पास कोई बसावट नहीं थी और इसलिए स्थानीय लोग गोलियों की आवाज सुनकर नहीं आए.

सरकार ने कहा कि विकास दुबे पर पुलिस ने 6 गोलियां चलाईं, जिनमें से तीन उसको लगी हैं. विकास दुबे के पैर में  रॉड प्रत्यारोपण हुआ था. लेकिन उसे भागने में कोई दिक्कत नहीं थी.  वो 3 जुलाई को पुलिसकर्मियों को मारने के बाद 3 किमी दौड़ा था. सरकार ने कहा था कि यह केवल संक्षिप्त उत्तर है और यदि समय दिया जाए तो अधिक तथ्य दर्ज किए जाएंगे. 

मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय और वकील अनूप अवस्थी की ओर से दाखिल याचिका में मामले में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है. 

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह गैंगस्टर विकास दुबे और उनके पांच सहयोगियों के साथ-साथ बिकरु गांव में तीन जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति बनाने की सोच रही है. इसके साथ ही SC ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था. 
 

वीडियो: विकास दुबे की घटना पूरे सिस्टम की विफलता : सुप्रीम कोर्ट

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