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This Article is From Jun 22, 2013

मौसम बिगड़ने की आशंका से राहत में तेजी, मृतकों की संख्या 557

केदारनाथ / गुप्तकाशी / चमोली / देहरादून: उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्र में फिर से भारी बारिश की आशंका को देखते हुए सेना और अर्द्धसैनिक बलों की टीम ने इलाके में फंसे लोगों को निकालने और उन्हें सुरक्षा देने का काम तेज कर दिया है। दूसरी ओर, अधिकारियों ने शनिवार को आपदा से मारे गए लोगों की संख्या 557 बताते हुए कहा कि अभी भी 20 हजार लोग फंसे हुए हैं।

सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि सोमवार को मौसम खराब होने को ध्यान में रखते हुए सेना अपने जवानों को आपदाग्रस्त इलाके में फंसे लोगों की मदद के लिए साजो-सामान, चिकित्सा सामग्री और राशन के साथ भेजा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने राहत एवं बचाव कार्यों की ताजा जानकारी देते हुए कहा कि शनिवार को करीब 10 हजार लोग निकाले गए जिनमें से भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सेना ने 4-4 हजार लोगों को निकाला। जिन लोगों को सेना ने निकाला उनमें से दो हजार खतरनाक इलाके में फंसे थे।

खराब मौसम के बावजूद वायु सेना ने शनिवार दोपहर तक हेलीकॉप्टरों से 150 फेरी लगाई। तिवारी ने आगे बताया कि राहत एवं बचाव अभियान में शामिल 61 हेलीकॉप्टरों में से 43 वायुसेना के, 11 सेना के और सात निजी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आपदा राहत कार्यों में जुटी विभिन्न एजेंसियों के बीच पूरा तालमेल और समन्वय है। तिवारी ने आपदा में मारे गए लोगों की संख्या 557 और घायलों की संख्या 412 बताई।

हैदराबाद में बातचीत करते हुए सेना प्रमुख ने राहत अभियान में तेजी की आवश्यकता की बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, "समय सीमित है। हमारे पास बस कल (रविवार) सुबह तक का समय है क्योंकि मौसम संभवत: फिर खराब हो जाएगा। हम अपने लोगों को भेज रहे हैं। कल (शुक्रवार को) हमने पैराट्रूपरों को उतारा। हम उन इलाकों तक भी पहुंचना चाहते हैं जहां इस समय कोई नहीं है और यह इत्मीनान कर लेना चाहते हैं कि वहां कोई फंसा न रह गया हो।" उन्होंने कहा, "हमने अभियान में मौजूदा 500 सैन्यकर्मियों की संख्या बढ़ाकर छह हजार कर दी है।"

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता दीपक के. पांडेय ने कहा कि केदारनाथ और बद्रीनाथ क्षेत्र में अभी भी 9500 से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अनुमानत: करीब आठ हजार लोग बद्रीनाथ क्षेत्र में फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को निकालने के लिए बद्रीनाथ से करीब 10 किलोमीटर दूर लाम्बागार में एक नया रोपवे स्थापित किया गया है।

पांडेय ने कहा कि फंसे हुए लोगों को गोविंदघाट लाया जा रहा है और वहां से उन्हें बस या अन्य वाहनों से जोशीमठ पहुंचाया जाएगा। जोशीमठ से देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश भेजने से पहले लोगों के नाम दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो को हेलीकॉप्टर से जबकि युवा और स्वस्थ लोगों को रोपवे से भेजा जाएगा।

पांडेय ने कहा, "कल से (शुक्रवार से) करीब 400 लोगों को रोपवे के जरिए निकाला गया है।"

इस बीच तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बचाए गए तीर्थयात्री अपने घरों को लौटने लगे हैं। शनिवार को जारी एक अधिकृत विज्ञप्ति के मुताबिक तमिलनाडु के 399 तीर्थयात्रियों में से 275 दिल्ली पहुंच चुके हैं। दिल्ली से सभी तीर्थयात्री चेन्नई रवाना होंगे।

तमिलनाडु के शेष 124 तीर्थयात्रियों की खोज-खबर लेने के लिए राज्य के अधिकारियों की एक टीम हरिद्वार में डेरा डाले हुए है।

आंध्र प्रदेश के करीब 100 तीर्थयात्री नई दिल्ली से केरल एक्सप्रेस विजयवाड़ा पहुंच गए, जबकि 30 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था एपी एक्सप्रेस वारंगल जिले के काजीपेट पहुंचा।

केरल एक्सप्रेस के विजयवाड़ा पहुंचने पर अपने परिजनों से मिल कर तीर्थयात्री और उनके परिजन रोने लगे। यह यात्रा उनके लिए दुख और शोक से भरी रही।
------लापता लोगों की सूची------

शुक्रवार को एनडीटीवी इंडिया की टीम केदारनाथ पहुंचने वाली पहली टीम थी। वहां के दृश्यों में साफ दिख रहा है कि केदारनाथ मंदिर के आसपास सब कुछ तबाह हो गया है। मंदिर में प्रवेश का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी के नीचे दब चुका है। मंदिर परिसर में गर्भगृह तक बालू और गाद जमी हुई है।

उत्तराखंड में 16−17 जून की रात मची तबाही का मंजर पिथौरागढ़ जिले की धर्मा, व्यास चौंदस और मिलाम घाटियां बयां कर रही हैं। गौरी और काली गंगा के उफान में सैकड़ों मकान और दर्जनों पुल तिनके की तरह बह गए। राहत और बचाव दल ने यहां से अभी तक 500 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला है, जिनमें कई अमेरिकी नागरिक भी हैं, जो मिलाम ग्लेशियर की ओर ट्रैकिंग के लिए आए थे। बताया जा रहा है कि इलाके के सैकड़ों स्थानीय लोगों का कोई अता-पता नहीं है।

दुर्गम पहाड़ियों और पर्वतीय क्षेत्रों में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिहाज से बचावकर्मियों के लिए रविवार शाम तक का वक्त अहम है, क्योंकि बारिश रविवार शाम तक फिर लौट सकती है। नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स ने कहा है कि इस दौरान ज्यादा से ज्यादा लोगों को बाहर निकालना होगा। एनडीआरएफ ने यहां 13 टीमें तैनात की हैं, जिनमें एक हजार राहतकर्मी शामिल हैं। इसके अलावा सेना और आईटीबीपी के भी हजारों जवान दिन-रात काम कर रहे हैं।

(इनपुट एजेंसियों से भी)

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