पणजी:
2009 में एक अमेरिकी कंपनी की संलिप्तता वाले कथित रिश्वत मामले के दौरान गोवा के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत ने इस विवादास्पद परियोजना को हरी झंडी देने में अपने किसी भी मंत्री की संलिप्तता से इनकार किया है।
कामत ने एजेंसी से बात करते हुए कहा "जेएआईसीए :जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी: परियोजना के लिए सभी निविदाएं केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के नियमानुसार जारी की गई हैं। इसमें किसी मंत्री का कोई हस्तक्षेप नहीं था।" कामत ने कहा कि निविदा के मूल्यांकन पर फैसला लेते समय ही राज्य के किसी विभाग की भूमिका सामने आती है। उनके मुताबिक मूल्यांकन के बाद किसी मंत्री के हस्तक्षेप की कोई संभावना नहीं बनती है और गोवा में इस जल विकास परियोजना के लिए सबसे कम बोली जापान के एक कंसोर्टियम ने लगाई थी। उन्होंने कहा कि कोई भी यह आरोप लगा सकता है कि उसने मंत्री को धन दिया लेकिन इसे साबित करने के लिए उचित आधार होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री एवं गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस ओर इशारा किया था कि राज्य में जल विकास योजना के मामले में न्यूजर्सी आधारित विनिर्माण प्रबंधन फर्म लुइस बर्गर की संलिप्तता वाले कथित रिश्वत मामले में दो पूर्व मंत्रियों के शामिल होने की आशंका है। पर्रिकर के अनुसार क्योंकि यह काम जापान इंटरनेशनल फंडिंग परियोजना से संबंधित है, तो इसमें पीडब्ल्यूडी मंत्री भी शामिल हो सकते हैं और परियोजना के लिए वित्तीय मंजूरी के मद्देनजर इसमें एक और मंत्री के भी शामिल होने की आशंका है। फर्म पर गोवा और गुवाहाटी में दो प्रमुख जल विकास परियोजनाएं हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप लगे हैं।
गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने कथित रिश्वत मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय मामला है इसलिए गोवा पुलिस इसकी जांच नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि जब ये ठेके दिए गए थे, उस समय कांग्रेस के नेता दिगम्बर कामत मुख्यमंत्री थे और चर्चिल अलेमाव लोक निर्माण विभाग के प्रभारी थे। लुइस बर्गर द्वारा गोवा परियोजना के लिए 9,76,630 डॉलर की रिश्वत देने के मामले में एक मंत्री को की गई अदायगी शामिल है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने इस संबंधी विस्तृत जानकारी का खुलासा नहीं किया है।
कामत ने एजेंसी से बात करते हुए कहा "जेएआईसीए :जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी: परियोजना के लिए सभी निविदाएं केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के नियमानुसार जारी की गई हैं। इसमें किसी मंत्री का कोई हस्तक्षेप नहीं था।" कामत ने कहा कि निविदा के मूल्यांकन पर फैसला लेते समय ही राज्य के किसी विभाग की भूमिका सामने आती है। उनके मुताबिक मूल्यांकन के बाद किसी मंत्री के हस्तक्षेप की कोई संभावना नहीं बनती है और गोवा में इस जल विकास परियोजना के लिए सबसे कम बोली जापान के एक कंसोर्टियम ने लगाई थी। उन्होंने कहा कि कोई भी यह आरोप लगा सकता है कि उसने मंत्री को धन दिया लेकिन इसे साबित करने के लिए उचित आधार होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री एवं गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस ओर इशारा किया था कि राज्य में जल विकास योजना के मामले में न्यूजर्सी आधारित विनिर्माण प्रबंधन फर्म लुइस बर्गर की संलिप्तता वाले कथित रिश्वत मामले में दो पूर्व मंत्रियों के शामिल होने की आशंका है। पर्रिकर के अनुसार क्योंकि यह काम जापान इंटरनेशनल फंडिंग परियोजना से संबंधित है, तो इसमें पीडब्ल्यूडी मंत्री भी शामिल हो सकते हैं और परियोजना के लिए वित्तीय मंजूरी के मद्देनजर इसमें एक और मंत्री के भी शामिल होने की आशंका है। फर्म पर गोवा और गुवाहाटी में दो प्रमुख जल विकास परियोजनाएं हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप लगे हैं।
गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने कथित रिश्वत मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय मामला है इसलिए गोवा पुलिस इसकी जांच नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि जब ये ठेके दिए गए थे, उस समय कांग्रेस के नेता दिगम्बर कामत मुख्यमंत्री थे और चर्चिल अलेमाव लोक निर्माण विभाग के प्रभारी थे। लुइस बर्गर द्वारा गोवा परियोजना के लिए 9,76,630 डॉलर की रिश्वत देने के मामले में एक मंत्री को की गई अदायगी शामिल है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने इस संबंधी विस्तृत जानकारी का खुलासा नहीं किया है।
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