विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस की पूर्व सरकार पर सीधे आरोप लगाया कि उसने कालाधन पर एसआईटी का गठन इसलिए नहीं किया क्योंकि उसका किसी को बचाने में 'इंटरेस्ट' था। मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि कालेधन पर चर्चा करने से लोग बचते थे और कोई छूने को तैयार नहीं था, हम ही केवल इस बारे में चर्चा करते थे।
उन्होंने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने 2011 में कालाधन पर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया था। अगर उस समय एसआईटी का गठन कर दिया जाता तब रुपया (कालाधन) इधर-उधर नहीं जाता। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया, 'उस समय ऐसा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि किसी को बचाने का 'इंटरेस्ट' था।' मोदी ने कहा कि हमारा मानना है कि विदेशों में जमा कालाधन वापस आना चाहिए।
इस दिशा में हम विभिन्न देशों के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, क्योंकि जानकारी के बिना लड़ाई संभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिशा में सरकार ने कानून बनाना शुरू किया है और विदेशों में सम्पत्ति के बारे में बताना अनिवार्य किया जा रहा है। उनकी सरकार कालाधन वापस लाने के बारे में प्रयासरत है और जी-20 की बैठक में कालाधन के विषय पर आपसी सहयोग पर सहमति बनी।
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