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This Article is From Sep 08, 2014

उप्र उपचुनाव : रोहनिया में त्रिकोणीय मुकाबला संभव

वाराणसी:

आम चुनाव के दौरान सुर्खियों में रही वाराणसी संसदीय सीट के तहत आने वाली रोहनिया विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बनती दिख रही है।

इस सीट पर वैसे तो अपना दल और समाजवादी पार्टी के बीच लड़ाई मानी जा रही थी, लेकिन एक निर्दलीय उम्मीदवार ने दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ा दी है।

रोहनिया विधानसभा सीट से विधायक रहीं अनुप्रिया पटेल आम चुनाव में भाजपा के सहयोग से मिर्जापुर से सांसद बन गईं। जिसके कारण यह सीट खाली हो गई।

रोहनिया पटेलों का गढ़ माना जाता है, लिहाजा लगभग सभी दलों ने पटेल बिरादरी के उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

भाजपा ने यह सीट अपना दल के लिए छोड़ दी है, और अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल यहां से अपना दल की उम्मीदवार हैं। भाजपा इन्हें जिताने के लिए पूरा जोर लगा रही है, क्योंकि इस सीट के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रतिष्ठा कहीं न कहीं से जुड़ती है। मोदी वाराणसी से सांसद हैं।

अपना दल के मीडिया प्रभारी आरबी पटेल ने बताया कि भाजपा इस सीट पर पूरा सहयोग कर रही है। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा का कार्यक्रम लगा था, स्थानीय स्तर पर भी पार्टी पूरा सहयोग कर रही है।

सपा की ओर से महेंद्र पटेल चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने डॉ. भावना पटेल को मैदान में उतारा है। भावना पहले बसपा से टिकट मांग रहीं थी, लेकिन वहां टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस विधायक अजय राय भावना के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रमाकांत सिंह उर्फ मिंटू सिंह लड़ाई को त्रिकोणीय बनाते दिख रहे हैं। इसकी वजह उनकी जाति है। भूमिहार जाति के होने के कारण विरादरी का वोट उनके पक्ष में जाने की संभावना है।

रोहनिया के जातीय समीकरण में लगभग 45 हजार वोटों के साथ भूमिहार मतदाता दूसरे नंबर पर आते हैं। पहले नंबर पर पटेल मतदाताओं की संख्या 80 हजार के आसपास है। यदि पटेल मतदाताओं का बिखराव हुआ तो मिंटू को इसका लाभ मिल सकता है।

मिंटू सिंह का कहना है कि सपा, भाजपा और अपना दल को बोलने का अधिकार नहीं है। उप्र में सपा की सरकार होने के बाद भी यहां कुछ काम नहीं हुआ, जबकि भाजपा के सहयोग से सांसद बनीं अनुप्रिया पटेल सिर्फ जाति के नाम पर लोगों को ठगना चाहती हैं। इस बार जनता बदलाव का मन बना चुकी है।

मिंटू सिंह के इस दावे के बीच खासतौर से भाजपा चौकन्ना हो गई है। उसने कृष्ण पटेल को जिताने के लिए भूमिहार विरादरी को अपने पक्ष में बनाए रखने की कोशिश कर रही है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी सांसद और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को सौंपी गई है। सिन्हा भूमिहार बाहुल्य इलाकों में कई कार्यक्रम कर चुके हैं।

बसपा ने उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, लेकिन पिछले दिनों लखनऊ में बैठक के दौरान पार्टी ने निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन देने की बात कही थी। लिहाजा रोहनिया के लगभग 40 हजार दलित मतदाताओं पर भी निर्दलीय उम्मीदवार मिंटू सिंह की नजर है।

उल्लेखनीय है कि उप्र में 13 सितम्बर को 11 विधानसभा सीटों के साथ ही मैनपुरी संसदीय सीट पर भी उपचुनाव होना है।

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