नेस्ले पर कार्रवाई से हरसिमरत कौर नाराज़, कहा 'ये इंस्पेक्टर राज के दिनों की याद दिलाता है'

नेस्ले पर कार्रवाई से हरसिमरत कौर नाराज़, कहा 'ये इंस्पेक्टर राज के दिनों की याद दिलाता है'

हरसिमरत कौर की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ने मैगी के विवाद को लेकर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया है, उनके मुताबिक जिस तरीके से मैगी विवाद को सरकार ने लिया है और इस पर कार्रवाई की है उस से उद्योगपतियों के मन में डर है।

हरसिमरत कौर ने कहा कि ये सब उन्हें इंस्पेक्टर राज की याद दिलाता है,  NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नेस्ले पर लगाए गए 640 करोड़ के जुर्माने के बाद उद्योग जगत में डर का माहौल है और सेहत के नाम पर फूड रेग्यूलेटर के जरिए उद्योगों को परेशान करना सही नहीं है।

हरसिमरत ने कहा कि स्वास्थ्य के नाम पर उद्योग जगत को परेशान करना ठीक नहीं है। हरसिमरत के अनुसार सबसे ज़्यादा दिक्कत सिस्टम में पारदर्शिता का न होना है, जहां इस संदर्भ में कोई भी साफ दिशा-निर्देश नहीं लिखा है। हरसिमरत ने कहा है कि अब समय आ गया है कि सिस्टम में बेहतर बदलाव लाये जा सकें।     

नेस्ले को राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कल ही मैगी पर लगे बैन को हटा लिया था लेकिन साथ ही में ये भी कहा था कि उसे फिर से नए तरीके से जांच से गुज़रना होगा ताकि ये पता लगाया जा सके कि उसमें लेड या सीसा की मात्रा तय मात्रा से ज्य़ादा तो नहीं है।  

6 हफ्ते में जांच
मैगी पर जांच पूरी होने के लिए छह हफ्ते का वक्त तय किया गया है। एनएबीएल से मंजूरी प्राप्त लैब में ही टेस्ट कराना होगा। हाईकोर्ट ने नेस्ले को नूडल्स के सभी प्रकारों के पांच-पांच नमूने ताजा जांच के लिए पंजाब, हैदराबाद और जयपुर की तीन लैब में भेजने की अनुमति दी है। यदि तीनों लैब में सीसे की मात्रा को स्वीकार्य सीमा से कम पाया जाता है, तो नेस्ले को मैगी नूडल्स बनाने की इजाजत मिल जाएगी।

कोर्ट ने फूड सेफ्टी रेगुलेटर पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, 'प्रतिबंध की घोषणा करते वक्त नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया।' जून में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जून में कहा था कि मैगी को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और असुरक्षित पाया। इस बीच जैसे ही मैगी से बैन हटने की खबरें आईं नेस्ले के शेयरों में तेजी दर्ज की गई।

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उल्लेखनीय है कि सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की और कंपनी से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रांड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।