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This Article is From Dec 26, 2021

आखिर कैसे 6,000 करोड़ रुपये अवैध रूप से हांगकांग भेजे गए?- सीबीआई की चार्जशीट में खुलासा

साल 2015 में सीबीआई ने बैंक के कई अधिकारियों और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन पर आरोप था कि बैंक ऑफ बड़ौदा की अशोक विहार शाखा से 59 चालू खाताधारकों द्वारा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था. 

आखिर कैसे 6,000 करोड़ रुपये अवैध रूप से हांगकांग भेजे गए?- सीबीआई की चार्जशीट में खुलासा
जांच एजेंसी ने पूरक आरोप-पत्र में नौ आरोपियों को किया नामजद ( प्रतीकात्मक फोटो )
नई दिल्ली:

केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (CBI) ने दिल्ली में बैंक ऑफ बड़ौदा की एक शाखा से कथित तौर पर 6,000 करोड़ रुपये अवैध तरीके से हांगकांग भेजने के सिलसिले में दो पूरक आरोप पत्र दायर किए हैं. सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र में केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि लोगों के एक समूह ने खाते खोले और विभिन्न अन्य खातों के माध्यम से उसमें धन जमा कराया. जांच एजेंसी ने पूरक आरोप-पत्र में जिन नौ आरोपियों को नामजद किया गया है, उनमें तनुज गुलाटी, ईश कुमार, उज्ज्वल सूरी, हनी गोयल, साहिल वाधवा, राकेश कुमार, सागर गुलाटी, भानु गुलाटी और वीपीसी मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स प्रा. लिमिटेड शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा, ‘‘एजेंसी ने 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा की अशोक विहार शाखा से 59 चालू खाताधारकों द्वारा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को छद्म आयात के नाम पर कथित रूप से 6,000 करोड़ रुपये से अधिक भेजने के लिए बैंक के कई अधिकारियों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.''

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सीबीआई सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने पाया है कि बैंक की अशोक विहार शाखा अपेक्षाकृत नई थी और उसे 2013 में ही विदेशी मुद्रा लेनदेन की अनुमति मिली थी. उन्होंने कहा कि जुलाई, 2014 और जुलाई, 2015 के बीच किए गए लगभग 8,000 लेनदेन के माध्यम से 6,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए.  प्रत्येक लेनदेन में प्रेषित राशि एक लाख अमेरिकी डालर से कम रखी गई थी.

एक अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद कहा था, “यह राशि आयात के नाम पर बतौर अग्रिम हांगकांग को भेजी गयी थी और ज्यादातर मामलों में लाभार्थी एक था.'' एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कहा, ‘‘अधिकांश विदेशी मुद्रा से संबंधित लेनदेन नए खोले गए चालू खातों में किए गए थे, जिसमें भारी नकद प्राप्तियां देखी गईं, लेकिन शाखा ने असाधारण लेनदेन रिपोर्ट (ईटीआर) नहीं बनाई और उच्च मूल्य के लेनदेन की निगरानी नहीं की.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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