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This Article is From May 30, 2019

चुनाव में हार के बाद अब कांग्रेस में बाहरी बनाम भीतरी की लड़ाई, इन नेताओं का कट सकता है पत्ता

पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की विशिष्ट मंडली में उनके करीबी रहे बाहरी लोगों का पार्टी के पदाधिकारी मौन विरोध कर रहे हैं.

चुनाव में हार के बाद अब कांग्रेस में बाहरी बनाम भीतरी की लड़ाई, इन नेताओं का कट सकता है पत्ता
लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के अंदर बाहरी बनाम भीतरी की लड़ाई शुरू हो गई है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में मायूसी छाई हुई है. खासतौर से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की विशिष्ट मंडली में उनके करीबी रहे बाहरी लोगों का पार्टी के पदाधिकारी मौन विरोध कर रहे हैं. इस मंडली में आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व अधिकारी अलंकार सवाई, पूर्व नौकरशाह धीरज श्रीवास्तव, निवेशक व बैंकर प्रवीण चक्रवर्ती, मिशिगन बिजनेस स्कूल के ग्रेजुएट सचिन राव और पूर्व एसपीजी अधिकारी के. बी. बायजू शामिल हैं जिन्हें पुराने पदाधिकारी बाहरी मानते हैं. अधिकारी सवाई पार्टी अध्यक्ष के लिए दस्तावेजी और शोध कार्य के साथ-साथ विचार सुझाने और राजनीतिक रणनीति बनाने में मदद करते हैं. कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया, "अलंकार का पार्टी में काफी दबदबा है. राहुल वरिष्ठ नेताओं की सलाह को नजरंदाज कर सकते हैं, लेकिन वह अलंकार की बातें अक्सर सुनते हैं. सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्री और अहमद पटेल भी उनको अहमियत देते हैं".  

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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मिलने का समय पाने में विफल नेता अपने लिए सारे दरवाजे बंद पाते हैं और वे इसके लिए कौशल विद्यार्थी या के. राजू पर दोष मढ़ते हैं. आम धारणा है कि यह मंडली नेता और उनके प्रति निष्ठावान भक्तों के बीच दीवार का काम करती है. ऑक्सफोर्ड से लौटे विद्यार्थी 2014 के चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद राहुल के निजी सचिव कनिष्क सिंह को दरकिनार करके उनके करीबी बने. इसके बाद पूर्व आईएएस अधिकारी के. राजू आए. राजस्थान के विधायक मंगलवार को पार्टी दफ्तर में काफी नाराज दिखे. उन्होंने कहा, "हमें राहुलजी से कोई शिकायत नहीं है. वह हमारे लिए हमेशा दयालु हैं लेकिन ये दरबारी हमें उनसे मिलने नहीं देते हैं".  

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24 अकबर रोड में बैठने वाले पार्टी के पुराने लोगों को 12 तुगलक लेन स्थित राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आवास पर शायद ही तवज्जो दिया जाता है. कांग्रेस मुख्यालय में 35 साल से काम कर रहे अखिल भारतीय कांग्रेस के मध्यम स्तर के एक पदाधिकारी ने बताया, "इस दफ्तर में किशोर उपाध्याय और वी. जॉर्ज मेरी तरह यहां (अकबर रोड) स्टेनोग्राफर थे. राजीव गांधी उनको लाए थे. उन्होंने बाहरी लोगों से बेहतर काम किया. वे कांग्रेस की संस्कृति व भावना को काफी अच्छी तरह समझते थे". पार्टी कॉडर और दूसरे स्तर के कुछ नेताओं का मानना है कि राहुल के इर्द-गिर्द कई प्रमुख लोग हैं जो कम्युनिस्ट के विचारों से प्रेरित हैं. मसलन, संदीप सिंह को पार्टी में बाहरी माना जाता है. वह पहले ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) में थे जो कम्युनिस्ट से जुड़ा संगठन है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता के रूप में संदीप ने 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को काला झंडा दिखाया था. वह इस समय राहुल गांधी के राजनीतिक सलाहकारों में शामिल हैं जो राहुल और प्रियंका के लिए भाषण तैयार करते हैं.  

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कांग्रेस के एक पूर्व राष्ट्रीय सचिव ने कहा, "कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय छवि को प्रभावित करने वाली घटनाओं में एक घटना कन्हैया कुमार के समर्थन में राहुल का जेएनयू दौरा शामिल है. अगर कोई वामपंथी विचार वालों से घिरा हो तो ऐसी घटनाएं (जेएनयू की घटना) होनी ही है जिससे पार्टी की निष्कलंक छवि को नुकसान पहुंचा. गौरतलब है कि चुनावों में हार के बाद यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के सामने नेतृत्व के संकट का सवाल बना हुआ है. ऐसी स्थिति में संभावना है कि पार्टी अध्यक्ष के दफ्तर में भी बदलाव हो सकता है और बाहरी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. (इनपुट- IANS से भी) 

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