यह ख़बर 17 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

बापू, हजारे के अनशन के तरीके में अंतर : तुषार गांधी

खास बातें

  • तुषार गांधी ने कहा, बापू का अनशन किसी शत्रु को मित्र में बदलने के लिए था, वहीं अन्ना का अनशन शत्रु के खिलाफ है।
Mumbai:

महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार का मानना है कि विरोध प्रदर्शन के तौर पर अनशन का इस्तेमाल करने के बापू और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के तरीके में अंतर है। तुषार गांधी ने कहा, हजारे का अनशन इसलिए अलग है, क्योंकि बापू का अनशन किसी शत्रु को मित्र में बदलने के लिए था, वहीं अन्ना का अनशन शत्रु के खिलाफ है। यह एक तरह से मैं बनाम तुम का मामला है। उन्होंने कहा, कल से हम जो देख रहे हैं, वह लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जनता की चिंता है। लोगों और सरकार के बीच बेमेल का भाव है। उन्होंने कहा कि पूरे आंदोलन में यह दिखाई दिया है। तुषार से जब पूछा गया कि यदि महात्मा गांधी होते, तो अन्ना के आंदोलन को कैसे देखते, इस पर उन्होंने कहा, बापू कभी हालात को इस स्तर पर नहीं पहुंचने देते। जब बीमारी शुरुआती स्तर पर होती, तभी वह सक्रिय हो जाते। उन्होंने कहा, हालांकि एक सकारात्मक चीज (हजारे के आंदोलन से) सामने आई है कि अहिंसा शक्तिशाली है। प्रदर्शनकारियों ने एक भी कांच नहीं तोड़ा है, एक भी पत्थर नहीं फेंका। यह अच्छा संकेत है। यह अहिंसा की ताकत दिखाता है।


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