त्रिपुरा हिंसा मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अदालत की निगरानी में जांच की याचिका पर बीजेपी शासित त्रिपुरा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सुनवाई न करने का अनुरोध किया. त्रिपुरा सरकार ने कहा कि चुनावी हिंसा की याचिका पर त्रिपुरा हाईकोर्ट सुनवाई करे. वहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार के खिलाफ TMC के आरोपों को बंगाल चुनावी हिंसा में TMC के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समान माना है. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि चुनाव हिंसा याचिका को बंगाल चुनाव हिंसा याचिका की तरह एक हाईकोर्ट द्वारा निपटाया जाना चाहिए.
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जस्टिस डीवीई चंद्रचूड़ ने कहा कि बंगाल चुनाव में आपकी पार्टी के खिलाफ समान आरोप लगाया गया था .उन्होंने कहा Sauce for the goose is sauce for the gander" (समान परिस्थितियों में समान कार्यवाही होनी चाहिए ).बंगाल चुनाव हिंसा मामले की कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. BJP ने आरोप लगाया था कि TMC ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होने दिया. SC ने संकेत दिया कि TMC की याचिका को त्रिपुरा हाईकोर्ट में भेजा जाएगा.कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए हमने चुनाव पूर्व चरण में हस्तक्षेप किया. अब चुनाव खत्म हो गए हैं इसलिए चुनाव हिंसा की FIR दर्ज करने और SIT के गठन के मुद्दों को हाईकोर्ट द्वारा निपटाया जा सकता है.मामले में अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा था कि वहां तबाही है. उम्मीदवारों को भी बूथ में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया भी जाने नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया.दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से त्रिपुरा में निकाय चुनाव में दो CAPF की आंतरिक कम्पनियों को भेजने का आदेश दिया था.सुप्रीम कोर्ट ने DGP और गृह सचिव से राज्य की सुरक्षा के हालात का जायज़ा ले कर केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताने को कहा था. कोर्ट ने चुनाव आयोग, DGP और गृह सचिव को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि सभी पोलिंग बूथ पर CAPF के जवानों की पर्याप्त तैनाती हो. साथ ही यह भी कहा था कि पोलिंग बूथ पर अगर कुछ घटना होती है प्रत्येक मतदान केंद्र में चुनाव अधिकारी CAPF कर्मियों की मदद लेगा.
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