विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ चीन और रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक सोमवार को होगी.
नई दिल्ली:
रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्री सोमवार को यहां त्रिपक्षीय समूह की एक अहम बैठक में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इनमें आतंकवाद एवं चरमपंथ के खतरे से निपटने के तरीकों पर चर्चा शामिल हैं.
समझा जाता है कि भारत आतंकवाद से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए तीन देशों के बीच सहयोग मजबूत करने तथा लश्कर ए तैयबा एवं जैश ए मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों को आरआईसी के घोषण पत्र में शामिल करने पर मजबूती से जोर देगा. ब्रिक्स समूह पहले ही इन संगठनों को आतंकी समूह घोषित कर चुका है.
यह भी पढ़ें : संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज ने छह देशों के विदेश मंत्रियों के साथ की बैठक
त्रिपक्षीय बातचीत से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बैठक करेंगी जिसमें कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है. डोकलाम गतिरोध के बाद चीन की तरफ से भारत में यह पहला उच्च स्तरीय दौरा है. सुषमा रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव के साथ भी बैठक करेंगी.
वांग और सुषमा की बैठक के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि विचार विमर्श में महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दे शामिल होंगे. वांग आज लावरोव से मिलेंगे तथा भारत-चीन सांस्कृतिक संध्या में हिस्सा लेंगे.
VIDEO : मिलकर काम करेंगे भारत-चीन
भारत के आरआईसी में भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में तीनों देशों के सामूहिक दृष्टिकोण पर जोर देने की उम्मीद है. भारत जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ प्रस्तावित चतुर्भुज गठबंधन में शामिल होने को लेकर आशंकाएं भी दूर कर सकता है. भारत के 7,200 किलोमीटर लंबे इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के तेजी से कार्यान्वयन पर भी जोर देने की संभावना है. यह कॉरिडोर भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ेगा. बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य, खाड़ी क्षेत्र के घटनाक्रम, अफगानिस्तान की स्थिति और आतंकवाद से निपटने के तरीकों सहित अन्य पर विचार विमर्श की संभावना है.
(इनपुट भाषा से)
समझा जाता है कि भारत आतंकवाद से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए तीन देशों के बीच सहयोग मजबूत करने तथा लश्कर ए तैयबा एवं जैश ए मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों को आरआईसी के घोषण पत्र में शामिल करने पर मजबूती से जोर देगा. ब्रिक्स समूह पहले ही इन संगठनों को आतंकी समूह घोषित कर चुका है.
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त्रिपक्षीय बातचीत से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बैठक करेंगी जिसमें कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है. डोकलाम गतिरोध के बाद चीन की तरफ से भारत में यह पहला उच्च स्तरीय दौरा है. सुषमा रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव के साथ भी बैठक करेंगी.
वांग और सुषमा की बैठक के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि विचार विमर्श में महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दे शामिल होंगे. वांग आज लावरोव से मिलेंगे तथा भारत-चीन सांस्कृतिक संध्या में हिस्सा लेंगे.
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भारत के आरआईसी में भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में तीनों देशों के सामूहिक दृष्टिकोण पर जोर देने की उम्मीद है. भारत जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ प्रस्तावित चतुर्भुज गठबंधन में शामिल होने को लेकर आशंकाएं भी दूर कर सकता है. भारत के 7,200 किलोमीटर लंबे इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के तेजी से कार्यान्वयन पर भी जोर देने की संभावना है. यह कॉरिडोर भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ेगा. बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य, खाड़ी क्षेत्र के घटनाक्रम, अफगानिस्तान की स्थिति और आतंकवाद से निपटने के तरीकों सहित अन्य पर विचार विमर्श की संभावना है.
(इनपुट भाषा से)
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