प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान भारत वहां चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के विकास के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करेगा। पीएम मोदी 22-23 मई को ईरान की यात्रा पर रहेंगे।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-भारत) गोपाल बागले ने बताया कि इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड इस बंदरगाह के पहले चरण में दो टर्मिनल व पांच मल्टीकार्गो बर्थ के विकास के लिए आर्या बंदर कंपनी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करेगी। इस समझौते पर हस्ताक्षर मोदी की यात्रा की एक प्रमुख घटना होगी। मोदी इस यात्रा में ईरान के सर्वोच्च नेता अली खमेनेई तथा राष्ट्रपति हसन रहानी से मिलेंगे।
बागले ने कहा कि इस दौरान एक्जिम बैंक द्वारा चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 15 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा देने के बारे में एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना के पहले चरण में भारतीय निवेश 20 करोड़ डॉलर से अधिक होगा।
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा मुख्य रूप से कनेक्टिविटी व बुनियादी ढांचे, ईरान के साथ ऊर्जा भागीदारी, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने, हमारे क्षेत्र की शांति व स्थिरता पर नियमित संवाद को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी।' दक्षिण पूर्व ईरान में स्थित चाबहार से भारत के लिए अफगानिस्तान का एक रास्ता मिलेगा, जिसमें पाकिस्तान से होकर जाने की जरूरत नहीं होगी। भारत के अफगानिस्तान के साथ निकट सुरक्षा व आर्थिक संबंध है।
भारत-ईरान ने 2003 में ओमान की खाड़ी में होर्मूज जलडमरू के बाह चाबहार के विकास पर सहमति जताई थी। यह बंदरगाह पाकिस्तान-ईरान सीमा के निकट है। ईरान पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते इस परियोजना में तेजी नहीं आ सकी थी। ईरान पर इस साल जनवरी से प्रतिबंध हटा लिए गए है। तब से भारत ने इस परियोजना में तेजी लाने का प्रयास शुरू कर दिया है। भारतीय कंपनी वहां पहले 10 साल के लिए दो जेट्टी के निर्माण का काम शुरू करेगी और तेल को छोड़ बाकी सभी प्रकार का समान उसी के रास्ते लाया ले जाया जाएगा।
चाबहार से अफगानिस्तान का जारांज शहर 833 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से जुड़ा है। सीमावर्ती जारांज से डेलराम के बीच राजमार्ग का निर्माण भारत ने किया है। वहां से अफगानिस्तान के चार बड़े शहर हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ राजमार्ग से जुड़े हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-भारत) गोपाल बागले ने बताया कि इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड इस बंदरगाह के पहले चरण में दो टर्मिनल व पांच मल्टीकार्गो बर्थ के विकास के लिए आर्या बंदर कंपनी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करेगी। इस समझौते पर हस्ताक्षर मोदी की यात्रा की एक प्रमुख घटना होगी। मोदी इस यात्रा में ईरान के सर्वोच्च नेता अली खमेनेई तथा राष्ट्रपति हसन रहानी से मिलेंगे।
बागले ने कहा कि इस दौरान एक्जिम बैंक द्वारा चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 15 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा देने के बारे में एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना के पहले चरण में भारतीय निवेश 20 करोड़ डॉलर से अधिक होगा।
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा मुख्य रूप से कनेक्टिविटी व बुनियादी ढांचे, ईरान के साथ ऊर्जा भागीदारी, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने, हमारे क्षेत्र की शांति व स्थिरता पर नियमित संवाद को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी।' दक्षिण पूर्व ईरान में स्थित चाबहार से भारत के लिए अफगानिस्तान का एक रास्ता मिलेगा, जिसमें पाकिस्तान से होकर जाने की जरूरत नहीं होगी। भारत के अफगानिस्तान के साथ निकट सुरक्षा व आर्थिक संबंध है।
भारत-ईरान ने 2003 में ओमान की खाड़ी में होर्मूज जलडमरू के बाह चाबहार के विकास पर सहमति जताई थी। यह बंदरगाह पाकिस्तान-ईरान सीमा के निकट है। ईरान पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते इस परियोजना में तेजी नहीं आ सकी थी। ईरान पर इस साल जनवरी से प्रतिबंध हटा लिए गए है। तब से भारत ने इस परियोजना में तेजी लाने का प्रयास शुरू कर दिया है। भारतीय कंपनी वहां पहले 10 साल के लिए दो जेट्टी के निर्माण का काम शुरू करेगी और तेल को छोड़ बाकी सभी प्रकार का समान उसी के रास्ते लाया ले जाया जाएगा।
चाबहार से अफगानिस्तान का जारांज शहर 833 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग से जुड़ा है। सीमावर्ती जारांज से डेलराम के बीच राजमार्ग का निर्माण भारत ने किया है। वहां से अफगानिस्तान के चार बड़े शहर हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ राजमार्ग से जुड़े हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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