भारत का कहना है कि पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले समेत कई अन्य आतंकी हमलों में मसूद अजहर का हाथ है.
नई दिल्ली:
चीन ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में एक बार फिर रोड़ा अटका दिया है. चीन का यह कदम भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में है. पिछले साल भारत ने मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई थी, लेकिन इस बार यह प्रस्ताव तीन देशों - अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से रखा गया था.
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने जनवरी के तीसरे हफ्ते में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के सामने मसूद अज़हर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. इसमें उसे इंग्लैंड और फ्रांस का भी समर्थन था. सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव को कमिटी के सामने लाने से पहले भारत से भी चर्चा की गई थी. इस प्रस्ताव में कहा गया कि जैश एक आतंकी संगठन है और इसके सरगना को बच निकलने नहीं दिया जा सकता. इस कमिटी में प्रस्ताव के पास होने या उस पर आपत्ति कर रोक लगाने के लिए दिए गए दस दिन के अंदर इस पर रोक लगा दिया. हालांकि ये सिर्फ 'होल्ड' है, 'ब्लॉक' नहीं. ये रोक 6 महीने के लिए वैध है और उसके बाद तीन महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है.
भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है कि हम चीन के इस कदम को चिंता से देख रहे हैं. एक बार फिर चीन के इस कदम से संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद की आतंकी सूची में शामिल संगठन के सरगना के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाया. हमें उम्मीद थी कि चीन सभी के लिए इस आतंकी खतरे को समझेगा और भारत और दूसरे देशों के साथ आतंक के खिलाफ साझा लड़ाई में उतरेगा.
भारत का कहना है कि पिछले साल पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले समेत कई अन्य आतंकी हमलों में मसूद अजहर का हाथ है. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति की मंजूरी मिल जाने पर मसूद अजहर की संपत्ति पर रोक लग गई होती और पाकिस्तान समेत अन्य देशों में उसकी यात्रा पर प्रतिबंध लागू हो जाता.
पिछले साल भी चीन ने मसूद अजहर का नाम संयुक्त राष्ट्र के आतंकियों की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर तकनीकी आधार पर अड़ंगा लगा दिया था. हालांकि इससे कुछ दिन पहले चीन ने अपने रुख पर विचार करने का संकेत दिया था लेकिन ऐन वक्त पर चीन ने अपने पुराने रवैये का प्रदर्शन किया. भारत ने इस मसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण आघात' करार दिया था.
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बात से अवगत है कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद पठानकोट हमला समेत भारत में अनेकों आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है जिसे संयुक्त राष्ट्र ने निषिद्ध किया है.
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने जनवरी के तीसरे हफ्ते में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के सामने मसूद अज़हर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. इसमें उसे इंग्लैंड और फ्रांस का भी समर्थन था. सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव को कमिटी के सामने लाने से पहले भारत से भी चर्चा की गई थी. इस प्रस्ताव में कहा गया कि जैश एक आतंकी संगठन है और इसके सरगना को बच निकलने नहीं दिया जा सकता. इस कमिटी में प्रस्ताव के पास होने या उस पर आपत्ति कर रोक लगाने के लिए दिए गए दस दिन के अंदर इस पर रोक लगा दिया. हालांकि ये सिर्फ 'होल्ड' है, 'ब्लॉक' नहीं. ये रोक 6 महीने के लिए वैध है और उसके बाद तीन महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है.
भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है कि हम चीन के इस कदम को चिंता से देख रहे हैं. एक बार फिर चीन के इस कदम से संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद की आतंकी सूची में शामिल संगठन के सरगना के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाया. हमें उम्मीद थी कि चीन सभी के लिए इस आतंकी खतरे को समझेगा और भारत और दूसरे देशों के साथ आतंक के खिलाफ साझा लड़ाई में उतरेगा.
भारत का कहना है कि पिछले साल पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले समेत कई अन्य आतंकी हमलों में मसूद अजहर का हाथ है. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति की मंजूरी मिल जाने पर मसूद अजहर की संपत्ति पर रोक लग गई होती और पाकिस्तान समेत अन्य देशों में उसकी यात्रा पर प्रतिबंध लागू हो जाता.
पिछले साल भी चीन ने मसूद अजहर का नाम संयुक्त राष्ट्र के आतंकियों की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर तकनीकी आधार पर अड़ंगा लगा दिया था. हालांकि इससे कुछ दिन पहले चीन ने अपने रुख पर विचार करने का संकेत दिया था लेकिन ऐन वक्त पर चीन ने अपने पुराने रवैये का प्रदर्शन किया. भारत ने इस मसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण आघात' करार दिया था.
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बात से अवगत है कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद पठानकोट हमला समेत भारत में अनेकों आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है जिसे संयुक्त राष्ट्र ने निषिद्ध किया है.
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