पंपोर में आतंकी हमले को लेकर उठते सवालों पर सेना ने लिखित सफाई दी है
नई दिल्ली:
शनिवार को पंपोर में आतंकी हमले को लेकर उठते सवालों पर एक बाऱ फिर सेना की ओर से लिखित सफाई आई है, जिसमें दावा किया गया है कि सेना और सीआरपीएफ के बीच तालमेल की कोई कमी नहीं है। यही नहीं जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए सारे सुरक्षा बल बेहतर तालमेल के साथ काम कर रहे है। इसी तालमेल का नतीजा है कि जम्मू-कश्मीर में हालात पहले की तुलना में काफी बेहतर हुए हैं।
सीआरपीएफ के आठ जवानों ने शांति की खातिर अपनी जान तक दे दी और ये वक्त है कि सारे बल मिलकर काम करें ताकि खुद का कम से कम नुकसान हो और ऐसा हो भी रहा है।
किसी ऑपरेशन के क्रेडिट के लिए सुरक्षा बलों के बीच में खींचातानी का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। सेना ने उन मीडिया रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए, जो सीआरपीएफ और सेना के बीच क्रेडिट को लेकर टकराव की बात कर रहें हैं। विपरीत हालात में जिस तरीके से सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां काम कर रही हैं, ऐसे में इस तरह के सवाल खड़े करने का कोई मतलब नहीं है।
गौरतलब है कि शनिवार को पंपोर में हुए आतंकी हमले में आतंकियों को किसने मारा इसको लेकर बवाल शुरू हुआ था। सेना ने पहले ये दावा किया कि उसने आतंकियों को मारा, फिर बाद में कहा कि ये सेना और सीआरपीएफ का संयुक्त ऑपरेशन था। बाद में सोमवार को सीआरपीएफ के डीजी के दुर्गा प्रसाद ने कहा कि आतंकियों को सीआरपीएफ के जवानों ने मारा। सेना ऑपरेशन खत्म होने के बाद घटनास्थल पर आई।
वैसे सेना ने अपने इस लिखित बयान में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया, पंपोर ऑपरेशन में उसकी भूमिका क्या थी? साफ है वो विवाद को पीछे छोड़कर मामले की लीपापोती में लग गई है।
सीआरपीएफ के आठ जवानों ने शांति की खातिर अपनी जान तक दे दी और ये वक्त है कि सारे बल मिलकर काम करें ताकि खुद का कम से कम नुकसान हो और ऐसा हो भी रहा है।
किसी ऑपरेशन के क्रेडिट के लिए सुरक्षा बलों के बीच में खींचातानी का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। सेना ने उन मीडिया रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए, जो सीआरपीएफ और सेना के बीच क्रेडिट को लेकर टकराव की बात कर रहें हैं। विपरीत हालात में जिस तरीके से सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां काम कर रही हैं, ऐसे में इस तरह के सवाल खड़े करने का कोई मतलब नहीं है।
गौरतलब है कि शनिवार को पंपोर में हुए आतंकी हमले में आतंकियों को किसने मारा इसको लेकर बवाल शुरू हुआ था। सेना ने पहले ये दावा किया कि उसने आतंकियों को मारा, फिर बाद में कहा कि ये सेना और सीआरपीएफ का संयुक्त ऑपरेशन था। बाद में सोमवार को सीआरपीएफ के डीजी के दुर्गा प्रसाद ने कहा कि आतंकियों को सीआरपीएफ के जवानों ने मारा। सेना ऑपरेशन खत्म होने के बाद घटनास्थल पर आई।
वैसे सेना ने अपने इस लिखित बयान में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया, पंपोर ऑपरेशन में उसकी भूमिका क्या थी? साफ है वो विवाद को पीछे छोड़कर मामले की लीपापोती में लग गई है।