केंद्रीय कानून एवं न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा को आश्वस्त किया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग न्यायपालिका की श्रेष्ठता को प्रभावित नहीं करेगा।
निचले सदन में दो विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रसाद ने आश्वस्त किया कि न्यायपालिका की श्रेष्ठता अपनी जगह बरकरार है। दोनों विधेयकों का उद्देश्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को हटाना है।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 और संविधान (121वां संशोधन) विधेयक, भारत के प्रधान न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों के साथ ही उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लोगों की सिफारिश करने और उनके स्थानांतरण करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर नियंत्रण का आशय रखते हैं।
प्रसाद ने कहा, "मैं फिर से कहता हूं कि देश के प्रधान न्यायाधीश आयोग के अध्यक्ष हैं। उसमें दो वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। प्रधान न्यायाधीश दो प्रतिष्ठित लोगों का चयन वाली उस समिति में भी हैं, जिसमें उनके अलावा प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष होंगे।"
प्रसाद ने लोकसभा सदस्यों को आश्वस्त किया, "वहां हर जगह न्यायपालिका की श्रेष्ठता है।"
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