तीन दिन 27 से 29 मई तक चली आर्मी कमांडरों की कॉन्फ्रेंस शुक्रवार को खत्म हुई. दिल्ली के साउथ ब्लॉक में स्थित रक्षा मंत्रालय में यह बैठक हुई. इस बैठक में मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों को लेकर गहन मंथन हुआ. सूत्रों के मुताबिक भारत-चीन एलएसी पर जारी तनाव और और भारतीय सेना की तैयारियों पर चर्चा हुई. इसके अलावा कश्मीर में हाल के दिनों में घुसपैठ की बढ़ती घटनाओं और लाइन ऑफ कंट्रोल पर और मुस्तैदी के साथ आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने की रणनीति पर चर्चा हुई.
कॉन्फ्रेंस में इसके अलावा फौज की बेहतर ट्रेनिंगके साथ ही मिलिट्री ट्रेनिंग डायरेक्टरेट की हेड क्वार्टर आर्मी ट्रेनिंग कमांड के साथ विलय पर चर्चा हुई. आर्मी कमांडर कॉन्फ्रेंस के दूसरे चरण की बैठक 24 से 27 जून को होगी. इस बैठक को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संबोधित करेंगे.
भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में स्थिति की बुधवार को व्यापक समीक्षा की. पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है. तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन पूर्वी लद्दाख के साथ-साथ उत्तराखंड और सिक्किम में चीन-भारत सीमा के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से उभरती हुई स्थिति पर कमांडरों ने विचार-विमर्श किया. भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध सहित देश की भारत की प्रमुख सुरक्षा चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया.
सैन्य सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे विवादित क्षेत्रों ओर उत्तराखंड तथा सिक्किम के कुछ क्षेत्रों में आक्रामक तेवर जारी रखेगी. विचार-विमर्श में इस बात पर जोर दिया गया कि भारतीय सैनिक किसी चीनी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे और लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की यथास्थिति सुनिश्चित करने के लिए तैयार रहेंगे.
एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि सेना स्थिति से दृढ़ता के साथ निपटती रहेगी. कमांडरों का सम्मेलन पहले 13-18 अप्रैल को होने वाला था. लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. उम्मीद है कि कमांडर जम्मू-कश्मीर की समग्र स्थिति पर भी विचार करेंगे.
सूत्रों ने बताया कि सम्मेलन में मुख्य ध्यान पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर रहेगा जहां भारतीय और चीनी सेनिक पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आमने-सामने हैं.
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच मई को हिंसक झड़प हुयी. स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बैठक के बाद दोनों पक्ष अलग हुए. इसके बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी. भारत और चीन दोनों ने इस क्षेत्र में सभी संवेदनशील इलाकों में अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी है. यह इस बात का संकेत है कि कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है.
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर भारत ने पिछले हफ्ते कहा कि उसने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति जिम्मेदारी भरा रुख अपनाया है लेकिन चीनी सेना उसके सैनिकों को सामान्य गश्त के दौरान बाधा डाल रही है. समझा जाता है कि भारत और चीन दोनों बातचीत के जरिए इस मुद्दे का हल तलाश रहे हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं