अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज फिर कहा कि अदालतों को सरकार और राजनीतिक दलों के कामकाज में दखल नहीं देना चाहिए। इंडियन वीमेंस प्रेस कोर के एक कार्यक्रम में उन्होंने आरबीआई गवर्नर से सरकार के टकराव की खबर को भी गलत बताया।
अदालत कार्यपालिका का विकल्प नहीं हो सकती
"कोर्ट कार्यपालिका का विकल्प नहीं हो सकती। कोर्ट उसकी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर सकती। सभी संस्थाओं को लक्ष्मण रेखा खींचना होगी।" वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दिल्ली में पत्रकार वार्ता में यह बात कही। कानून के जानकार वित्त मंत्री ने बहुत सतर्क होकर ये साफ किया कि अदालत और सरकार के कामकाज के दायरे अलग हैं। अदालतों को अपनी लक्ष्मणरेखा खींचनी होगी।
वित्त मंत्री की इस सलाह के पीछे हाल के कई मसले हैं। उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया; आधार को वित्त विधेयक बनाने का मामला अदालत में है; दिल्ली में डीज़ल गाड़ियों पर बैन लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी सरकार निराश है और ताज़ा मामला मेडिकल एंट्रेंस को लेकर एनईईटी का है। जेटली ने कहा, "मेरी नज़र में मेडिकल संस्थाओं में दाखिले का मामला कार्यपालिका के अधीन आता है।"
संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाने के इल्ज़ाम से किनारा किया
लेकिन संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाने के इल्ज़ाम को लेकर जेटली किनाराकशी कर गए। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर बीजेपी के हमले को भी उन्होंने मीडिया के मत्थे मढ़ दिया और कहा कि आरबीआई से सरकार का कोई टकराव नहीं है। अरुण जेटली ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि RBI और वित्त मंत्रालय के बीच संबंधों को लेकर मीडिया में छपने वाली खबरों को आपको गंभीरता से लेना चाहिए।" वित्त मंत्री से कहा कि RBI और वित्त मंत्रालय के बीच संबंध मजबूत हैं।
NEET में हस्तक्षेप पर चिंता जताई
सूखा और NEET जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप को लेकर अरुण जेटली ने अपनी चिंताएं जताईं, लेकिन जिस परिस्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों में हस्तक्षेप किया ...उससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और राजनीतिक दलों ने इन मामलों में अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाहन सही तरीके से किया था। क्या उनकी कमजोरियों की वजह से ही कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
अदालत कार्यपालिका का विकल्प नहीं हो सकती
"कोर्ट कार्यपालिका का विकल्प नहीं हो सकती। कोर्ट उसकी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर सकती। सभी संस्थाओं को लक्ष्मण रेखा खींचना होगी।" वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दिल्ली में पत्रकार वार्ता में यह बात कही। कानून के जानकार वित्त मंत्री ने बहुत सतर्क होकर ये साफ किया कि अदालत और सरकार के कामकाज के दायरे अलग हैं। अदालतों को अपनी लक्ष्मणरेखा खींचनी होगी।
वित्त मंत्री की इस सलाह के पीछे हाल के कई मसले हैं। उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया; आधार को वित्त विधेयक बनाने का मामला अदालत में है; दिल्ली में डीज़ल गाड़ियों पर बैन लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी सरकार निराश है और ताज़ा मामला मेडिकल एंट्रेंस को लेकर एनईईटी का है। जेटली ने कहा, "मेरी नज़र में मेडिकल संस्थाओं में दाखिले का मामला कार्यपालिका के अधीन आता है।"
संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाने के इल्ज़ाम से किनारा किया
लेकिन संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाने के इल्ज़ाम को लेकर जेटली किनाराकशी कर गए। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर बीजेपी के हमले को भी उन्होंने मीडिया के मत्थे मढ़ दिया और कहा कि आरबीआई से सरकार का कोई टकराव नहीं है। अरुण जेटली ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि RBI और वित्त मंत्रालय के बीच संबंधों को लेकर मीडिया में छपने वाली खबरों को आपको गंभीरता से लेना चाहिए।" वित्त मंत्री से कहा कि RBI और वित्त मंत्रालय के बीच संबंध मजबूत हैं।
NEET में हस्तक्षेप पर चिंता जताई
सूखा और NEET जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप को लेकर अरुण जेटली ने अपनी चिंताएं जताईं, लेकिन जिस परिस्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों में हस्तक्षेप किया ...उससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और राजनीतिक दलों ने इन मामलों में अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाहन सही तरीके से किया था। क्या उनकी कमजोरियों की वजह से ही कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
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