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This Article is From Dec 03, 2014

आतंकवादी किसी भी बोट को कब्ज़े में लेकर हमला कर सकते हैं : नौसेना प्रमुख एडमिरल रॉबिन धोवन

नौसेना प्रमुख एडमिरल रॉबिन धोवन

नई दिल्ली:

समुद्र में आतंकवादी खतरा लगातार बढ़ रहा है, यह बात भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल रॉबिन धोवन ने एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत में कही। उन्होंने नौसैनिक पोतों और पनडुब्बियों के साथ होने वाले हादसों के बारे में भी बात की और मीडिया से अनुरोध किया कि वह अब नौसेना को हादसों से आगे बढ़कर देखे, वरना इससे जवानों के हौसले पर खराब असर पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि एडमिरल रॉबिन धोवन ने नौसेना प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी करीब साढ़े सात महीने पहले तब संभाली थी, जब तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने नौसेना में लगातार हो रहे हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था, हालांकि एडमिरल धोवन के कमान संभालने के बाद भी हादसों का सिलसिला थमा नहीं, और हालत यह है कि पिछले तीन सालों में नौसेना की 24 पनडुब्बियां और पोत दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।

इस मुद्दे पर नौसेना प्रमुख कहते हैं, "हम हर हादसे को गंभीरता से लेते हैं, और हर एक जान हमारे लिए मायने रखती है... इतना ही नहीं, हादसे की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही हम ऐसे उपाय करते हैं कि ऐसे हादसे दोबारा न हों... हमारा मीडिया से अनुरोध है कि अब नौसेना को हादसों से आगे बढ़कर देखें, वरना इससे जवानों के हौसले पर खराब असर पड़ेगा..."

उन्होंने कहा, "यह भी देखिए कि नौसेना के 40 से 50 फीसदी जहाज़ 20 से 25 साल पुराने पड़ चुके हैं और एक जहाज़ का जीवन ही 30 से 35 साल होता है... इन्हीं से हमें सरहद की रखवाली करनी है... हमारी कोशिश होती है कि एक भी हादसा न हो, लेकिन कई बार जब तय प्रकिया का पालन नहींं किया जाता, तो हादसे होते ही हैं... वैसे, इधर हुए कई हादसों के पीछे केवल मानवीय भूल ही वजह नहीं रही, बल्कि रखरखाव की कमी और सामग्री की गड़बड़ी भी वजह बनी..."

हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादियों द्वारा भारतीय नौसेना के युद्धपोत पर कब्जे की कोशिश को लेकर बात करते हुए नौसेना प्रमुख ने कहा, "वह एक बड़ा ख़तरा है... वे किसी भी बोट को कब्ज़े में लेकर हमला कर सकते हैं... हमने इसके मद्देनज़र अपनी सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी है... हमारे पास सूचनाएं भी हैं कि समुद्र में आतंकी कोई हरकत कर सकते हैं, लेकिन यहां जमीन की तरह बाड़ नहीं लगा सकते हैं... सारे देशों को मिलकर काम करना होगा, तभी इस चुनौती से निपटा जा सकता है..."

उन्होंने कहा, "देश में अब भी 2.5 लाख बोट हैं, जिन पर नज़र रखना आसान नहीं है... इन पर नजर रखने के लिए ट्रांसपोंडर लगाने का काम चल ही रहा है... फिर हमारी समुद्री सरहद भी बहुत लंबी है - 7,650 किलोमीटर की, और इसके भीतर करीब 1,200 टापू हैं... हिन्द महासागर पर हमारी पैनी नजर है... चीन की हर हरकत पर हमारी नज़र है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुद्र में उसकी गतिविधि होने से हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते... फिर भी हम अपने देशवासियों को यकीन दिलाना चाहते हैं कि उनकी समुद्री सरहदें पूरी तरह सुरक्षित हैं और हम किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं..."

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