यह ख़बर 22 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

तेलंगाना : बंद से जनजीवन अस्त-व्यस्त, गतिरोध जारी

खास बातें

  • हैदराबाद और तेलंगाना क्षेत्र के नौ अन्य जिलों में परिवहन सेवाएं बाधित हुई हैं जबकि दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और शैक्षिक संस्थान बंद रहे।
हैदराबाद:

पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए संसद में विधेयक पेश किए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को शुरू हुए 48 घंटे के बंद से आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। वहीं विधानसभा में तेलंगाना मुद्दे पर गतिरोध तीसरे दिन भी जारी रहा। छोटी-मोटी घटनाओं को छोड़कर तेलंगाना क्षेत्र के 10 जिलों में बंद शांतिपूर्ण रहा। हैदराबाद और तेलंगाना क्षेत्र के नौ अन्य जिलों में परिवहन सेवाएं बाधित हुई हैं जबकि दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और शैक्षिक संस्थान बंद रहे। सड़क परिवहन निगम (आरटीसी) की बसें मंगलवार सुबह से डिपो से बाहर नहीं निकलीं, क्योंकि कई जगहों पर आरटीसी के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए। तेलंगाना संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) के आह्वान पर किए गए बंद का क्षेत्र के लगभग सभी शहरों पर पूरा असर देखा गया, क्योंकिलोगों ने स्वेच्छा से आपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद कर दिए और प्रदर्शन में शामिल हुए। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य तेलंगाना समर्थक पार्टियां व समूह बंद में हिस्सा ले रहे हैं। इसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का समर्थन प्राप्त है। टीआरएस कार्यकर्ताओं ने दुकानें बंद करवाने के लिए मेडक, निजामाबाद, वारंगल और करीमनगर जिलों के विभिन्न इलाकों में रैलियां निकालीं। पुलिस ने सिकंदराबाद में मोटरसाइकिल रैली का नेतृत्व कर रहे टीआरएस विधायक हरीश राव को गिरफ्तार कर लिया है। उस्मानिया विश्वविद्यालय के निकट तारनाका में जेएसी के संयोजक एम.कोंडाराम को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के प्रदर्शन के कारण लगातार दूसरे दिन तनाव बरकरार रहा। छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आसूंगैस के गोले छोड़े। वे कोंडाराम और हरीश राव की रिहाई की मांग करते हुए रैली निकाल रहे थे। क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में वाहनों तथा दुकानों पर पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाएं होने की भी खबर है।   हैदराबाद में सोमवार को तेलंगाना छात्रों के हिंसक प्रदर्शनों के कारण स्थिति तनावपूर्व हो गई थी। वहां मंगलवार के बंद का आंशिक असर दिखा। आरटीसी ने तेलंगाना के विभिन्न क्षेत्रों और आंध्र व रायलसीमा क्षेत्रों में अपनी सेवाएं नहीं दीं, जबकि हैदराबाद में कुछ बसें सड़कों पर उतरीं। एहतियाती उपाय के तौर पर हैदराबाद के शैक्षिक संस्थानों में पहले ही अवकाश घोषित कर दिया गया था। कुछ इलाकों में दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि अन्य इलाकों में बंद का ज्यादा असर नहीं दिखा। एशिया का सबसे बड़ा बस अड्डा सूना पड़ा रहा, क्योंकि तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों तथा अन्य इलाकों से आने वाली 3,500 बसें बंद थीं। सिकंदराबाद स्थित जुबिली बस अड्डे की हालात भी वैसी ही थी।   राज्य के स्वामित्व वाली कोयला कम्पनी सिंगारेनी कोइलरीज में काम प्रभावित हुआ है क्योंकि यहां के करीब 70,000 कर्मचारी तेलंगाना बंद में शामिल हुए हैं। आदिलाबाद, खम्मम, करीमनगर और वारंगल जिलों में कोयला खदानों में निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। बंद के कारण 28 करोड़ रुपये मूल्य के 1.8 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ। दूसरी ओर आंध्र प्रदेश विधानसभा में लगातार तीसरे दिन मंगलवार को भी गतिरोध जारी रहा। तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों ने कार्यवाही में बाधा उत्पन्न किया। वे पृथक राज्य के गठन के लिए सदन में एक प्रस्ताव पारित कराए जाने की मांग कर रहे थे। टीआरएस, भाकपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के तेलंगाना विधायकों के शोर-शराबे के बीच उपाध्यक्ष नादेन्दला मनोहर को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने दूसरी बार सदन स्थगित करने के बाद गतिरोध को तोड़ने का समाधान ढूंढ़ने के लिए सभी पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक की। इससे पहले जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो तेलंगाना विधायकों ने इस मुद्दे पर प्रस्ताव पारित कराने की मांग जोर-शोर से शुरू कर दी थी। वे 17 फरवरी को विधानसभा के संयुक्त सत्र के दौरान राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन के भाषण के बीच अनैतिक व्यवहार करने पर निलम्बित किए गए पांचों विधायकों का निलम्बन वापस लिए जाने की भी मांग कर रहे थे। टीआरएस के तीन और तेदेपा के दो विधायकों को शुक्रवार को एक सप्ताह के लिए निलम्बित कर दिया गया था। सदन में शुक्रवार और सोमवार को भी कोई कार्यवाही नहीं चली थी।


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