
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास (फाइल फोटो)
रांची:
झारखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य की 11 से 17 साल तक की किशोरियों एवं 24 साल तक की आयु की युवा महिलाओं के कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार प्राप्ति के लिए 'तेजस्विनी' योजना शुरू करने की घोषणा की। इसके लिए विश्व बैंक की मदद से 540 करोड़ रुपये व्यय करने की स्वीकृति दी गई है।
झारखंड सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मंत्रिमंडल सचिव एन.एन. पांडेय ने मंगलवार को रांची में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने इस आशय का निर्णय किया।
पांडेय ने बताया कि 'तेजस्विनी' योजना पर मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मुहर लगाई, जिसके तहत 11 से 17 साल तक की किशोरवय लड़कियों एवं 24 साल तक की आयु की युवा महिलाओं का कौशल विकास कर उन्हें विभिन्न तरह के रोजगार के योग्य बनाया जाएगा और उन्हें रोजगार प्राप्त करने में सहायता दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस कार्य को राज्य के 24 जिलों में से 17 जिलों में मूर्त रूप दिया जाएगा और इस कार्य के लिए मंत्रिमंडल ने 540 करोड़ रुपये व्यय करने की स्वीकृति प्रदान की है। राज्य के सात अन्य जिलों में पहले से ही 'सबला' नाम से ऐसी योजना चल रही है।
उन्होंने बताया कि इस योजना पर व्यय किए जाने वाले 540 करोड़ रुपये में से 70 प्रतिशत अर्थात 378 करोड़ रुपये भारत सरकार विश्व बैंक के उदार ऋण के रूप में उपलब्ध कराएगी, जबकि 30 प्रतिशत अर्थात 162 करोड़ रुपये की शेष राशि राज्य सरकार अपने संसाधनों से व्यय करेगी।
झारखंड सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मंत्रिमंडल सचिव एन.एन. पांडेय ने मंगलवार को रांची में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने इस आशय का निर्णय किया।
पांडेय ने बताया कि 'तेजस्विनी' योजना पर मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मुहर लगाई, जिसके तहत 11 से 17 साल तक की किशोरवय लड़कियों एवं 24 साल तक की आयु की युवा महिलाओं का कौशल विकास कर उन्हें विभिन्न तरह के रोजगार के योग्य बनाया जाएगा और उन्हें रोजगार प्राप्त करने में सहायता दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस कार्य को राज्य के 24 जिलों में से 17 जिलों में मूर्त रूप दिया जाएगा और इस कार्य के लिए मंत्रिमंडल ने 540 करोड़ रुपये व्यय करने की स्वीकृति प्रदान की है। राज्य के सात अन्य जिलों में पहले से ही 'सबला' नाम से ऐसी योजना चल रही है।
उन्होंने बताया कि इस योजना पर व्यय किए जाने वाले 540 करोड़ रुपये में से 70 प्रतिशत अर्थात 378 करोड़ रुपये भारत सरकार विश्व बैंक के उदार ऋण के रूप में उपलब्ध कराएगी, जबकि 30 प्रतिशत अर्थात 162 करोड़ रुपये की शेष राशि राज्य सरकार अपने संसाधनों से व्यय करेगी।
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