सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीते शुक्रवार नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण पर फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. शीर्ष अदालत ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में इस बात का जिक्र किया कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए कोटा और आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को कोटा प्रदान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और राज्यों को सार्वजनिक सेवा में कुछ समुदायों के प्रतिनिधित्व में असंतुलन दिखाए बिना ऐसे प्रावधान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. अब इसको लेकर राजनीति भी गरमाने लगी है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कुछ देर पहले ट्वीट कर इस मामले में मोदी सरकार को सड़क से लेकर संसद तक के संग्राम की चेतावनी दे डाली है.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, 'BJP और NDA सरकारें आरक्षण खत्म करने पर क्यों तुली हुई है? उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने आरक्षण खत्म करने लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा. आरक्षण प्राप्त करने वाले दलित-पिछड़े और आदिवासी हिंदू नहीं है क्या? BJP इन वंचित हिंदुओं का आरक्षण क्यों छीनना चाहती है. हम केंद्र की एनडीए सरकार को चुनौती देते है कि तुरंत सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करें या फिर आरक्षण को मूल अधिकार बनाने के लिए मौजूदा संसद सत्र में संविधान में संशोधन करें. अगर ऐसा नहीं होगा तो सड़क से लेकर संसद तक संग्राम होगा.'
आरक्षण संवैधानिक प्रावधान है। अगर संविधान के प्रावधानों को लागू करने में ही किंतु-परंतु होगा तो यह देश कैसे चलेगा? साथ ही आरक्षण समाप्त करने में भाजपा का पुरज़ोर समर्थन कर रहे आदरणीय @irvpaswan जी, @NitishKumar जी, अठावले जी, @AnupriyaSPatel भी इसपर स्पष्ट मंतव्य जारी करे।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 10, 2020
बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, रामदास अठावले और अनुप्रिया पटेल को टैग करते हुए उनसे सफाई मांगते हुए लिखा, 'आरक्षण संवैधानिक प्रावधान है. अगर संविधान के प्रावधानों को लागू करने में ही किंतु-परंतु होगा तो यह देश कैसे चलेगा? साथ ही आरक्षण समाप्त करने में भाजपा का पुरजोर समर्थन कर रहे आदरणीय रामविलास जी, नीतीश कुमार जी, अठावले जी और अनुप्रिया जी भी इसपर स्पष्ट मंतव्य जारी करें.'
नौकरी में आरक्षण का मामला: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से LJP और कांग्रेस असहमत
बताते चलें कि यह मामला उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) पदों पर पदोन्नति में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण पर अपील पर दिए गए एक फैसले से जुड़ा है. साल 2018 में पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने भी कहा था कि 'क्रीमी लेयर' को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है. पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने 7 न्यायाधीशों वाली पीठ से इसकी समीक्षा करने का अनुरोध किया था.
VIDEO: सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमत LJP
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं