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वहां सब कुशल मंगल? जानें PM मोदी ने अंतरिक्ष में मौजूद शुभांशु शुक्ला से पूछे क्या-क्या सवाल

पीएम मोदी ने आईएसएस पर मौजूद विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला से अंतरिक्ष की विशालता, ग्रैविटी, वहां की परिस्थितियों पर भी बातचीत की. शुभांशु ने पीएम को अपने अनुभवों के बारे में बताया.

  • पीएम मोदी ने ISS पर मौजूद वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला से बात की.
  • शुभांशु ने कहा कि यह सिर्फ उनकी यात्रा नहीं, बल्कि भारत से सपनों की यात्रा है.
  • शुभांशु ने ISS पर साथियों को गाजर और मूंग दाल का हलवा खिलाने की बात बताई.
  • शुभांशु ने पीएम मोदी को बताया कि अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी कैसी लगती है.
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नई दिल्ली:

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत में सवाल-जवाब का भी दौर चला. पीएम मोदी ने शुभांशु से सवाल किए और विंग कमांडर ने उनका जवाब दिया

पीएम मोदीः वहां सब कुशल मंगल है न, आपकी तबीयत ठीक है न?
शुभांशुः  जी प्रधानमंत्री जी. बहुत बहुत धन्यवाद आपकी और 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाओं का. मैं बिल्कुल ठीक और सुरक्षित हूं, आप सभी के प्यार की वजह से. बहुत अच्छा लग रहा है. बहुत नया एक्सपीरियंस है यह. कहीं न कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं जो दर्शाती हैं कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग.. हमारा देश, हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है. मेरी यह यात्रा यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की यात्रा है. यह यात्रा सिर्फ मेरी नहीं है. मुझे लगता है कि यह हमारे देश की भी यात्रा है. जब मैं छोटा था तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि में एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं. लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व आज का भारत यह मौका देता है. सपनों को साकार करने का मौका देता है. मेरे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं बहुत गर्व फील कर रहा हूं कि मैं यहां अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं. 

पीएम मोदीः शुभ आप दूर अंतरिक्ष में हैं जहां ग्रैविटी ना के बराबर है. पर हर भारतीय देख रहा है कि आपने कितने डाउन टु अर्थ (जमीन से जुड़े) हैं. आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?
शुभांशु शुक्लाः
जी प्रधानमंत्री जी, कुछ चीजें अपने देश की खाने की लेकर आया था. जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस. मैं चाहता था कि बाकी देशों से आए मेरे साथी वह भी इसका स्वाद लें और चखें. हमारी जो हेरिटेज है, उसका अनुभव लें. हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया. सभी को बहुत पसंद आया. जब वे नीचे आएंगे और हमारे देश आएंगे और इसका स्वाद  हमारे साथ ले सकेंगे. 

पीएम मोदीः परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी पंरपरा है. आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है. अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे. 
शुभांशु शुक्लाः
अभी तो यह जानकारी मेरे पास उपलब्ध नहीं है. लेकिन थोड़ी देर पहले मैं विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे. हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं. 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं. बहुत ही अचंभित करने वाला यह पूरा प्रोसेस है. करीब 28 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आपसे बात करते वक्त हम चल रहे हैं. यह गति पता नहीं चलती है क्योंकि हम तो अंदर है. लेकिन यह गति कहीं न कही दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है. हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है. 

पीएम मोदीः अंतरिक्ष की विशालता देखकर आपके मन में सबसे पहला विचार क्या आया?
शुभांशु शुक्लाः
प्रधानमंत्री जी सच में बोलूं तो जब पहली बार हम ऑर्बिट में पहुंचे तो पहला व्यू पृथ्वी का था. और पृथ्वी को बाहर से देखकर पहला ख्याल जो मन में आया, वह यह था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है. बाहर से कोई सीमा नहीं दिखाई देती है. पहली बार जब भारत को देखा तो जैसा कि हम मैप में देखते हैं भारत को. हम देखते हैं कि बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है. हमारा आकार कितना बड़ा है. लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि हम थ्री डी ऑब्जेक्ट को पेपर पर उतारते हैं. (अंतरिक्ष से) भारत सच में बहुत भव्य दिखता है. बहुत बड़ा दिखता है. जितना हम मैप में देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा. पृथ्वी की वननेस की फीलिंग है, जो कि हमारा भी उद्देश्य है अनेकता में एकता, उसका महत्व बाहर से देखने पर ऐसे समझ में आता है कि लगता है कोई सीमा, राज्य है ही नहीं. ऐसा लगता है कि पृथ्वी हमारा घर है और हम सब उसके नागरिक हैं.     

पीएम मोदीः शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं. आपने जबर्दस्त मेहनत की है. लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं. अब आप रियल सिचुएशन में हैं. सच में अंतरिक्ष में हैं. वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं. कैसे एडॉप्ट कर रहे हैं?
शुभांशु शुक्लाः
यहां पर तो सबकुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी. हमने पूरे एक साल इसकी ट्रेनिंग की. सारे सिस्टम और प्रोसेस के बारे में मुझे पता था. लेकिन यहां पर अचानक सब चेंज हो गया. हमारे शरीर को ग्रैविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे तय होती है. यहां आने के बाद चूंकि ग्रैविटी माइक्रो ग्रैविटी है तो छोटी-छोटी चीजें भी मुश्किल हो जाती हैं. आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है. नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा. पानी पीना, सोना.. सोना बहुत बड़ा चैलेंज है यहां. आप छत पर सो सकते हैं. आप दीवारों पर सो सकते हैं. आप जमीन पर सो सकते हैं. पता सबकुछ होता है प्रधानमंत्री जी. ट्रेनिंग बहुत अच्छी हुई है. वातावरण चेंज होता है तो माहौल में एडजस्ट होने में थोड़ा वक्त लगता है. 
 

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