नई दिल्ली:
दिल्ली में टैंकर घोटाले की एसीबी जांच के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। दीक्षित ने कहा कि 'टैंकर ख़रीदने में हर नियमों का पालन किया गया था और आज भी वे टैंकर इस्तेमाल में हैं। यह दिल्ली के लोगों की सेवा है, घोटाला नहीं।' गौरतलब है कि गुरुवार को ही उपराज्यपाल नजीब जंग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को 400 करोड़ के टैंकर घोटाले की जांच करने का आदेश दिए थे। इस घोटाले में शीला दीक्षित आरोपी हैं क्योंकि जिस समय पानी सप्लाई के लिए यह टैंकर किराए पर लिए गए थे, उस समय दीक्षित सीएम के साथ-साथ दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष भी थीं।
केजरीवाल पर आरोप
बता दें कि बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा बार बार इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने जल बोर्ड समिति की रिपोर्ट को जंग के सामने पेश किया था। इसके साथ ही जंग ने गुप्ता की उस शिकायत को भी एसीबी के सामने रखा है जिसमें अरविंद केजरीवाल पर टैंकर घोटाले से जुड़ी समिति की रिपोर्ट को 11 महीने तक दबाकर रखने का आरोप लगाया गया है। 12 जून को जल मंत्री कपिल मिश्रा ने पीएम मोदी और जंग को चिट्ठी लिखकर टैंकर घोटाले में दीक्षित के खिलाफ सीबीआई या एसीबी जांच की सिफारिश की बात कही थी।
क्या था मामला
2010-11 के दौरान टैंकर घोटाला सामने आया था। टैंकरों को पानी की सप्लाई के लिए किराए पर लेना था और उनकी सप्लाई वहां होनी थी जहां इलाकों में पाइपलाइन नहीं थी। स्टेनलेस स्टील के 450 टैंकर किराए पर लिए जाने थे। इस काम के लिए सरकार ने 2010 में टेंडर निकाला जिसकी लागत 50.98 करोड़ रुपये रखी गई थी। 2010 का टेंडर रद्द कर अगले डेढ़ साल में चार बार टेंडर निकाले गए और इसकी लागत 50.98 करोड़ से बढ़ा कर 637 करोड़ रुपए कर दी गई। दिसंबर 2011 में 10 साल के लिए टैंकर किराए पर लिए गए।
केजरीवाल पर आरोप
बता दें कि बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा बार बार इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने जल बोर्ड समिति की रिपोर्ट को जंग के सामने पेश किया था। इसके साथ ही जंग ने गुप्ता की उस शिकायत को भी एसीबी के सामने रखा है जिसमें अरविंद केजरीवाल पर टैंकर घोटाले से जुड़ी समिति की रिपोर्ट को 11 महीने तक दबाकर रखने का आरोप लगाया गया है। 12 जून को जल मंत्री कपिल मिश्रा ने पीएम मोदी और जंग को चिट्ठी लिखकर टैंकर घोटाले में दीक्षित के खिलाफ सीबीआई या एसीबी जांच की सिफारिश की बात कही थी।
क्या था मामला
2010-11 के दौरान टैंकर घोटाला सामने आया था। टैंकरों को पानी की सप्लाई के लिए किराए पर लेना था और उनकी सप्लाई वहां होनी थी जहां इलाकों में पाइपलाइन नहीं थी। स्टेनलेस स्टील के 450 टैंकर किराए पर लिए जाने थे। इस काम के लिए सरकार ने 2010 में टेंडर निकाला जिसकी लागत 50.98 करोड़ रुपये रखी गई थी। 2010 का टेंडर रद्द कर अगले डेढ़ साल में चार बार टेंडर निकाले गए और इसकी लागत 50.98 करोड़ से बढ़ा कर 637 करोड़ रुपए कर दी गई। दिसंबर 2011 में 10 साल के लिए टैंकर किराए पर लिए गए।
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