गुरुवार को एक ही दिन में गुजरात में स्वाइन फ्लू के 60 नए केस दर्ज किये गए और नौ लोगों की मौत हो गई। इसी के साथ गुजरात में इस साल की शुरुआत से अब तक स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या 62 हो गई है।
इससे जहां लोगों में स्वाइन फ्लू से डर का माहौल बन रहा है, वहीं सरकार भी बेहद चिंता में है। आखिरकार गुजरात में स्वाइन फ्लू के मामलों के अनुपात में मौतों की संख्या बहुत ज़्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़ों को देखें तो गुजरात के 62 के मुकाबले राजस्थान में 72 और तेलंगाना में 41 मौतें हुई हैं, लेकिन सर्वाइवल रेट, यानि बचने की संभावना गुजरात में सबसे कम है। अगर स्वाइन फ्लू हो तो गुजरात में बचने की संभावना 13 प्रतिशत है, जबकि यह राजस्थान में 17 और महाराष्ट्र में 34 प्रतिशत है।
इसी के चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले दिनों एक टीम भी गुजरात भेजी थी, जिसने जांच के बाद कहा कि गुजरात में ज़्यादा मौतों की वजह यह रही है कि लोगों को देर से पता चलता है कि उन्हें स्वाइन फ्लू है। इस वजह से वे देर से अस्पताल जाते हैं, और तब तक उन्हें न्यूमोनिया ज़्यादा हो चुका होता है, तथा सांस की समस्या भी हो चुकी होती है, और इसी वजह से उन्हें बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
इसीलिए गुजरात में सरकार अब कदम उठा रही है। लगातार रेडियो, स्थानीय टेलीविज़न चैनलों और अख़बारों के जरिये विज्ञापन देकर लोगों को जागरूक बनाने की कोशिश की जा रही है। कहा जा रहा है कि किसी भी तरह की सर्दी, खांसी और बुखार में सरकारी अस्पताल में जांच ज़रूर करवा लें। इसके अलावा स्वाइन फ्लू की जांच के लिए राज्य में तीन विशेष लैबोरेटरी भी बनाई जा रही हैं।
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