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This Article is From Mar 08, 2017

अजमेर दरगाह ब्लास्ट : स्वामी असीमानंद समेत सात को बरी किया, तीन को दोषी माना

अजमेर दरगाह ब्लास्ट : स्वामी असीमानंद समेत सात को बरी किया, तीन को दोषी माना
स्वामी असीमानंद को अजमेर दरगाह धमाके के मामले में एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया है (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अजमेर दरगाह परिसर में 11 अक्टूबर 2007 को हुए था बम विस्फोट
मामले में देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी करार दिया
स्वामी असीमानंद समेत सात लोगों को संदेह के आधार पर बरी किया
जयपुर: जयपुर की विशेष अदालत ने अजमेर बम विस्फोट कांड में असीमानंद समेत सात आरोपियों को आज बरी कर दिया जबकि उसने तीन अभियुक्तों को इस मामले में दोषी पाया है. राष्ट्रीय जांच एजेन्सी के मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में 11 अक्टूबर 2007 को आहता ए नूर पेड़ के पास हुए बम विस्फोट मामले में देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी करार दिया है.

असीमानंद पर हमले की योजना बनाने का आरोप था.  11 अक्टूबर 2007 को हुए इस ब्लास्ट में तीन लोगों की मौत हो गई थी और करीब 20 लोग घायल हुए थे.

बचाव पक्ष के वकील जगदीश एस राणा ने बताया कि अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत सात लोगों को सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. दोषी पाए गए अभियुक्तों में से सुनील जोशी की मृत्यु हो चुकी है. अदालत देवेन्द्र गुप्ता और भवेश पटेल को आगामी 16 मार्च को सजा सुनाएगी.

उन्होंने बताया कि अदालत ने स्वामी असीमानंद, हषर्द सोलंकी, मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, मेहुल कुमार, भरत भाई को सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. उन्होंने बताया कि न्यायालय ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 195 और धारा 295 के अलावा विस्फोटक सामग्री कानून की धारा 3(4) और गैर कानूनी गतिविधियों का दोषी पाया है.  

असीमानंद कई अन्य बम ब्लास्ट के मामले में भी आरोपी हैं जिसमें हैदराबाद की मक्का मस्जिद में 2007 में ब्लास्ट और उसी वर्ष समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट शामिल है जिसमें लगभग 70 लोगों की मौत हो गई थी. समझौता एक्सप्रेस भारत-पाकिस्तान के बीच चलती है.

उन्हें 2010 में जेल भेजा गया जहां उन्होंने आतंकी मामलों में कथित तौर पर अपनी भूमिका को स्वीकार किया था. बाद में उन्होंने कहा कि जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित करके झूठा बयान दिलाया था.

 

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