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This Article is From Aug 05, 2016

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली सरकार से कहा, 'आप खुद को राज्य कैसे कह सकते हैं'...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली सरकार से कहा, 'आप खुद को राज्य कैसे कह सकते हैं'...
दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उप राज्‍यपाल नजीब जंग का फाइल फोटो...
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली सरकार की उस याचिका यानी सूट पर सुनवाई हुई, जिसमें दिल्ली सरकार ने मांग की है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों का निपटारा किया जाए और और दिल्ली को पूर्ण राज्य जैसे अधिकार मिलने चाहिए. दरअसल, यह याचिका अप्रैल में दिल्ली सरकार ने दायर की थी.

उच्‍चतम न्‍यायालय ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के संविधान के आर्टिकल 131 के तहत सूट दाखिल करने पर सवाल उठाया और पूछा कि आप खुद को कैसे राज्य कह सकते हैं? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूट पर सुनवाई आगामी 29 अगस्त को होगी.

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे और दोनों मामलों को एक साथ सुना जाना चाहिए. इस पर न्‍यायालय ने कहा कि यह चीफ जस्टिस चय करेंगे.

वहीं, अदालत में केंद्र सरकार ने सूट का विरोध किया. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि 'मामले में संविधान के आर्टिकल 131 के तहत सूट पर सुनवाई नहीं हो सकती, क्योंकि दिल्ली राज्य नहीं है बल्कि केंद्र शासित प्रदेश है. इधर आप (दिल्‍ली सरकार) हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहे हैं और सूट भी.... दोनों एक साथ नहीं चल सकते.

इससे पहले गुरुवार को इस मामले पर दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा था. हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में उपराज्यपाल को दिल्ली का सर्वेसर्वा बताया था. हाईकोर्ट ने कहा था 'एलजी ही दिल्ली के प्रशासक हैं और दिल्ली सरकार उनकी मर्ज़ी के बिना कानून नहीं बना सकती. एलजी, दिल्ली सरकार की सलाह मानने को बाध्य नहीं हैं, केंद्र के नोटिफिकेशन सही हैं और केजरीवाल सरकार के कमेटी बनाने संबंधी फ़ैसले अवैध हैं'

हाइकोर्ट के इस फ़ैसले के बाद एलजी नजीब जंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हाईकोर्ट के फ़ैसले को ऐतिहासिक बताया था और कहा ये किसी की हार या जीत नहीं है. ये हमारे संविधान में ही लिखा है. दरअसल, दोनों के बीच कई मुद्दों पर अधिकारों को लेकर टकराव होता रहा है.

दिल्ली सरकार की दलील है कि...
 
  • संविधान के आर्टिकल 131 के मुताबिक, अगर भारत में दो या दो से अधिक राज्यों या केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच कोई विवाद होगा तो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही उसका निपटारा करने का अधिकार होगा. हाईकोर्ट ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं कर सकता.
  • दिल्ली इस मामले में राज्य है और केंद्र और दिल्ली के विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट को करना चाहिए.
  • संविधान के 239AA में केंद्र और दिल्ली सरकारों के अधिकारों का बंटवारा किया गया है और केंद्र दिल्ली सरकार के अधिकार पर अतिक्रमण कर रहा है.
  • केंद्र सरकार के पास भूमि, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर है तो बाकी मामलों में फैसले लेने का अधिकार दिल्ली सरकार को है और इसके लिए LG की इजाजत लेना जरूरी नहीं है.

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