नई दिल्ली:
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को उनके खिलाफ अवैध खनन से जुड़े आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया। येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने अवैध खनन से जुड़ी फर्मों को गैर-वाजिब तरीके से लाभ पहुंचाए और इसके बदले में अपने परिजनों की धर्मार्थ संस्थाओं के लिए दान के तौर पर मोटी रकम ली।
मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली विशेष फोरेस्ट पीठ ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह मामले में शामिल कंपनियों और व्यक्ति के रुतबे और राजनीतिक कद से प्रभावित हुए बिना जांच करे और तीन अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंप दे।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने इस मामले में तमाम न्यायिक मंचों पर लंबित तमाम प्रकियाओं पर रोक लगा दी।
अदालत ने केन्द्रीय उच्चाधिकर समिति की 20 अप्रैल की रिपोर्ट को मंजूर किया, जिसमें येदियुरप्पा और जिंदल्स और एडनिस की कंपनियों के खिलाफ कई तरह के आरोपों की तरफ इशारा करते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। अदालत ने आंध्र प्रदेश सरकार से जांच में सीबीआई के साथ सहयोग करने को कहा।
समिति द्वारा उच्चतम न्यायालय के 10 फरवरी के आदेश के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें कहा गया था कि भाजपा नेता के खिलाफ सीबीआई जांच के विस्तार की गुंजाइश है और वह अपने निष्कषरें के समर्थन में दस्तावेज लगाए।
समिति ने कर्नाटक में ‘भारी पैमाने पर अवैध खनन से जुड़ी गैर-कानूनी गतिविधियां’ पाए जाने और जिंदल ग्रुप के खिलाफ भारी मात्रा में अवैध खनन सामग्री और उन्हें मिले गैर-वाजिब लाभ के सुबूतों पर विचार करने के बाद इनके खिलाफ सीबीआई जांच की हिमायत की।
मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली विशेष फोरेस्ट पीठ ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह मामले में शामिल कंपनियों और व्यक्ति के रुतबे और राजनीतिक कद से प्रभावित हुए बिना जांच करे और तीन अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंप दे।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने इस मामले में तमाम न्यायिक मंचों पर लंबित तमाम प्रकियाओं पर रोक लगा दी।
अदालत ने केन्द्रीय उच्चाधिकर समिति की 20 अप्रैल की रिपोर्ट को मंजूर किया, जिसमें येदियुरप्पा और जिंदल्स और एडनिस की कंपनियों के खिलाफ कई तरह के आरोपों की तरफ इशारा करते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। अदालत ने आंध्र प्रदेश सरकार से जांच में सीबीआई के साथ सहयोग करने को कहा।
समिति द्वारा उच्चतम न्यायालय के 10 फरवरी के आदेश के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें कहा गया था कि भाजपा नेता के खिलाफ सीबीआई जांच के विस्तार की गुंजाइश है और वह अपने निष्कषरें के समर्थन में दस्तावेज लगाए।
समिति ने कर्नाटक में ‘भारी पैमाने पर अवैध खनन से जुड़ी गैर-कानूनी गतिविधियां’ पाए जाने और जिंदल ग्रुप के खिलाफ भारी मात्रा में अवैध खनन सामग्री और उन्हें मिले गैर-वाजिब लाभ के सुबूतों पर विचार करने के बाद इनके खिलाफ सीबीआई जांच की हिमायत की।
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