नई दिल्ली:
वीवीआईपी सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि सुरक्षा रसूख दिखाने का जरिया बन गई है और इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र को निर्देश दिए हैं कि वह वीवीआईपी और बाकियों को दी जा रही सुरक्षा पर हो रहे खर्च और ट्रैफिक रोकने आदि के बारे में विस्तार से जानकारी मुहैया कराएं। सभी राज्यों और केंद्र को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम और पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस की इस बात के लिए तारीफ की कि उन्होंने वीआईपी सुरक्षा लेने से मना कर दिया।
कोर्ट ने वीवीआईपी लोगों और उनके परिवारों की सुरक्षा में लगे कर्मियों और उन पर होने वाले खर्च का हिसाब मांगा है। ऐसे वीवीआईपी लोगों का भी ब्योरा मांगा गया है, जिन पर खुद को दी गई सुरक्षा के बहाने कानून-व्यवस्था तोड़ने का आरोप लगा है। कोर्ट ने उन नियमों के बारे में जानकारी मांगी है, जिनके आधार पर किसी वीवीआईपी के दौरे के दौरान सड़कों को ब्लॉक कर दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र को निर्देश दिए हैं कि वह वीवीआईपी और बाकियों को दी जा रही सुरक्षा पर हो रहे खर्च और ट्रैफिक रोकने आदि के बारे में विस्तार से जानकारी मुहैया कराएं। सभी राज्यों और केंद्र को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम और पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस की इस बात के लिए तारीफ की कि उन्होंने वीआईपी सुरक्षा लेने से मना कर दिया।
कोर्ट ने वीवीआईपी लोगों और उनके परिवारों की सुरक्षा में लगे कर्मियों और उन पर होने वाले खर्च का हिसाब मांगा है। ऐसे वीवीआईपी लोगों का भी ब्योरा मांगा गया है, जिन पर खुद को दी गई सुरक्षा के बहाने कानून-व्यवस्था तोड़ने का आरोप लगा है। कोर्ट ने उन नियमों के बारे में जानकारी मांगी है, जिनके आधार पर किसी वीवीआईपी के दौरे के दौरान सड़कों को ब्लॉक कर दिया जाता है।
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