विकास दुबे एनकाउंटर मामले (Vikas Dubey Encounter Case) में पहले से गठित न्यायिक आयोग ही जांच करता रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आयोग से जस्टिस शशिकांत और पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता को हटाने से इनकार करते हुए आयोग के पुनर्गठन की अर्जी खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई की मांग पर कहा कि 'जब आयोग में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं तो चिंता की क्या बात है.' कोर्ट ने केएल गुप्ता को बदलने पर भी विचार करने से इनकार कर दिया है.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा, 'जांच आयोग में एक सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, एक हाईकोर्ट के जज भी हैं. एक अधिकारी के कारण जांच आयोग को समाप्त करने पर विचार नही किया जा सकता है.' सीजेआई ने कहा, 'केएल.गुप्ता ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है और यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ एक्शन होना.चाहिए '
याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता अपने मीडिया इंटरव्यू में पहले ही पुलिस को क्लीन चिट दे चुके हैं, ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है. इसपर यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'यह बयान गुप्ता ने जांच आयोग के गठित होने से पहले कही थी, साथ ही उन्होंने जांच की बात भी की थी.' एसजी ने कहा कि 'बयान को सेलेक्टिव तौर पर नहीं पढ़ा जा सकता. केएल गुप्ता ने कहा था कि एक बार जांच खत्म हो जाने के बाद अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.'
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कौन हैं याचिकाकर्ता और क्या है उनकी आपत्ति?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करने की मांग की गई है. आवेदन वकील घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी ने दायर की है. दोनों उन याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं जिन्होंने दो जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और विकास दुबे व उसके कुछ साथियों के एनकाउंटर की जांच CBI या NIA से कराने की गुहार की थी.
घनश्याम उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की न्यायिक जांच के लिए यूपी सरकार की ओर से तय किए गए जस्टिस शशिकांत अग्रवाल के नाम पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि वो इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिटायर नहीं हुए थे बल्कि ट्रांसफर के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया था. इसलिए उनको जांच आयोग में शामिल ना किया जाए. अवस्थी ने पूर्व महानिदेशक केएल गुप्ता को आयोग में शामिल करने पर आपत्ति जताते हुए गुहार लगाई गई है कि आयोग का पुनर्गठन किया जाए और इसमें केएल गुप्ता की जगह किसी दूसरे पूर्व महानिदेशक को शामिल किया जाए. उनका आरोप है कि कानपुर एनकाउंटर के बाद केएल गुप्ता ने मीडिया से बात करॉते हुए एनकाउंटर का बचाव किया था, लिहाजा इस जांच में पक्षपात होने की आशंका है.
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याचिकाकर्ता ने पूर्व DGP आई सी द्विवेदी, एस जे अहमद और प्रकाश सिंह के नाम का सुझाव दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बी एस चौहान की अध्यक्षता में कमीशन का गठन किया था.
Video: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करेंगे विकास दुबे मामले की जांच
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