विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From May 15, 2018

जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद-35ए पर सुनवाई 16 अगस्त तक टली

जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य वाली 35ए मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस मुद्दे पर कोई जवाब दाखिल नहीं करेंगे. वो सिर्फ संवैधानिक मुद्दों पर बहस करेंगे.

Read Time: 4 mins
जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद-35ए पर सुनवाई 16 अगस्त तक टली
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य वाली 35ए मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस मुद्दे पर कोई जवाब दाखिल नहीं करेंगे. वो सिर्फ संवैधानिक मुद्दों पर बहस करेंगे. इस संबंध में AG केके वेणुगोपाल ने कहा कि ये संवेदनशील मामला है. इंटरलोकुटर दस बार वहां जा चुके हैं. सभी हितधारकों से बात कर रहे हैं. कोर्ट को फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं करना चाहिए और इंटरलोकुटर की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त तक सारी कार्रवाई पूरी करने को कहा है. कोर्ट इस मामले की सुनवाई 16 अगस्त को करेगा. सुप्रीम कोर्ट तभी तय करेगा कि मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए.

शीर्ष न्यायालय ने गुटखा घोटाले से जुड़े मामले में फैसला रखा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में जम्मू एवं कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्ज को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. कई याचिकाओं में भारतीय संविधान के अनुच्छेद-35ए को असंवैधानिक करार देने की गुहार की गई है. दरअसल, इससे पहले जम्मू कश्‍मीर के स्थायी निवासियों के विशेषाधिकार से संबंधित अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई थी और केंद्र से उसका पक्ष पूछा था. इससे पहले कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई संवैधानिक की पीठ द्वारा किये जाने का समर्थन किया था, यदि यह अनुच्छेद संविधान के अधिकार क्षेत्र से बाहर है या इसमें कोई प्रक्रियागत खामी है.

कठुआ गैंगरेप: 3 गवाहों ने SC में लगाई याचिका, कहा-बयान को बदलने के लिए पुलिस ने बनाया दबाव

कोर्ट ने कहा था कि तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी और फिर इसे पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजेगी. कोर्ट चारू वली खन्ना की ओर से संविधान के अनुच्छेद 35ए और जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रावधान छह को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है दोनों प्रावधान जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों से जुड़े हुए हैं. याचिका में कुछ विशेष प्रावधानों को चुनौती दी गयी है- राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलना. इस प्रावधान के तहत राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला का संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है और उसके बेटे को भी संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता. संविधान में 1954 में राष्ट्रपति आदेश से जोड़ा गया अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेषाधिकार और सुविधाएं देता है.

जस्टिस जोसेफ़ का नाम केंद्र को फिर भेजा जाएगा, कॉलेजियम में सैद्धांतिक सहमति

पूर्व सैनिक सहित तीन लोगों की ओर से दायर इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में दायर इसी तरह की याचिका के साथ जोड़ दिया है. इनमें विभाजन के बाज कश्मीर में बसे लोग शामिल हैं. याचिका में कहा गया कि संविधान केअनुच्छेद-35ए और जम्मू एवं कश्मीर संविधान के खंड-छह विभाजन के बाद पश्चिम पाकिस्तान से कश्मीर में आए लोगों के साथ भेदभावपूर्ण है. उनका कहना है कि वे तीसरी पीढ़ी के लोग है लेकिन अब तक उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के वांशिदें को मिलने वाला लाभ नहीं मिल रहा है. 1954 में राष्‍ट्रपति आदेश पर अनुच्‍छेद 35ए को संविधान में शामिल किया गया था, जिसके अनुसार जम्‍मू कश्‍मीर के निवासियों को विशेषाधिकार दिया गया था. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
नौकरी का वादा कर महिला से ठगे 39 लाख रुपये, केस दर्ज
जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद-35ए पर सुनवाई 16 अगस्त तक टली
NDTV के इंटरव्यू में कही PM मोदी की बात हुई सच, सैम पित्रोदा फिर बनाए गए कांग्रेस के ओवरसीज अध्यक्ष
Next Article
NDTV के इंटरव्यू में कही PM मोदी की बात हुई सच, सैम पित्रोदा फिर बनाए गए कांग्रेस के ओवरसीज अध्यक्ष
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;