सुमित्रा महाजन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नये भारत के लिये 'भारत जोड़ो' आंदोलन की जरूरत बताई और कहा कि एक ऐसा आंदोलन चलाने की जरूरत है जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के सभी हिस्सों में चलाया जाए ताकि एक सबल और संगठित भारत का निर्माण किया जा सके. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में आयोजित विशेष चर्चा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जिससे समावेशी विकास हो. हमें विकास के लाभों को देश के सभी भागों तक पहुंचाना है और अभाव को दूर करने के लिये कड़ी मेहनत करनी है.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि निर्धनतम वर्ग की ओर सबसे पहले ध्यान दिया जाना चाहिए जिसे एक प्रकार से पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने दोहराया था कि पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है और विकास पहुंचाना है. यह अंत्योदय की कल्पना है.
सुमित्रा महाजन ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने कहा था कि स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा. ''अब हमारे लिए भी यह कहना आवश्यक है कि ''सुराज मेरा परम कर्तव्य है और मैं उसे पूरा करूंगा ही.'' उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 70 वर्ष पूर्ण होने पर एवं स्वतंत्रता संघर्ष के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव 'भारत छोड़ो आंदोलन' के 75 वर्ष पूर्ण होने पर उन क्षणों को सभा के सभी सदस्यों और देश के लोगों के साथ फिर से स्मरण करते हुए मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 8 अगस्त 1942 को देर शाम मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रस्ताव पेश हुआ था. उसी रात को 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगी. 90 मिनट के भाषण में महात्मा गांधी ने स्पष्ट कर दिया था कि 'करेंगे या मरेंगे.' उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि इस आंदोलन ने देश के बुद्धिजीवियों के साथ-साथ गांव, देहात के करोड़ों किसानों, मजदूरों एवं नौजवानों की चेतना को झकझोरा और उन्हें प्रत्यक्ष रूप से इस स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि निर्धनतम वर्ग की ओर सबसे पहले ध्यान दिया जाना चाहिए जिसे एक प्रकार से पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने दोहराया था कि पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है और विकास पहुंचाना है. यह अंत्योदय की कल्पना है.
सुमित्रा महाजन ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने कहा था कि स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा. ''अब हमारे लिए भी यह कहना आवश्यक है कि ''सुराज मेरा परम कर्तव्य है और मैं उसे पूरा करूंगा ही.'' उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 70 वर्ष पूर्ण होने पर एवं स्वतंत्रता संघर्ष के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव 'भारत छोड़ो आंदोलन' के 75 वर्ष पूर्ण होने पर उन क्षणों को सभा के सभी सदस्यों और देश के लोगों के साथ फिर से स्मरण करते हुए मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 8 अगस्त 1942 को देर शाम मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रस्ताव पेश हुआ था. उसी रात को 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगी. 90 मिनट के भाषण में महात्मा गांधी ने स्पष्ट कर दिया था कि 'करेंगे या मरेंगे.' उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि इस आंदोलन ने देश के बुद्धिजीवियों के साथ-साथ गांव, देहात के करोड़ों किसानों, मजदूरों एवं नौजवानों की चेतना को झकझोरा और उन्हें प्रत्यक्ष रूप से इस स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं