आपत्ति खारिज होने के बाद इरोम की शादी का रास्ता साफ हो गया है...
कोडईकानाल:
तमिलनाडु के कोडईकनाल के उप रजिस्ट्रार ने मणिपुर की नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम शार्मिला और उनके लंबे समय से साथी रहे ब्रिटिश नागरिक डेसमंड कॉटिन्हो के विवाह पर उठाई गई आपत्ति को खारिज कर दिया है. उप रजिस्ट्रार ने स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता वी महेंद्रन की ओर से दायर आपत्ति को खारिज कर दिया और उनके विवाह का रास्ता साफ कर दिया.
उप रजिस्ट्रार ने कल आदेश में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत, आपत्ति तभी की जा सकती है जब व्यक्ति पहले से शादीशुदा हो या उसकी शादी योग्य उम्र नहीं हो, या उनमें से एक की मानसिक स्थिति सही नहीं हो. उन्होंने कहा कि महेंद्रन द्वारा उठाई गई आपत्ति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और इसे खारिज किया जाता है.
युगल ने गत 12 जुलाई को विवाह के लिए आवेदन किया था और विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दिए जाने के 30 दिन के अंदर आपत्ति की जा सकती है. महेंद्रन ने इस आधार पर आपत्ति की थी कि अगर ये दंपत्ति विवाह के बाद इस पर्वतीय इलाके में रहता है तो वे वहां की कानून एवं व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं.
शर्मिला मार्च में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव में हार के बाद कॉटिन्हो के साथ इस इलाके में आ गईं थीं. इस चुनाव में उनकी पार्टी ‘पीपल्स रीसर्जन्स एंड जस्टिस एलांयस’ को बुरी तरह शिकस्त खानी पड़ी थी. 44 वर्षीय यह कार्यकर्ता तब सुर्खियों में आ गईं थी जब उन्होंने मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून 1958 को हटाने की मांग को लेकर चार नवम्बर 2000 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उप रजिस्ट्रार ने कल आदेश में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत, आपत्ति तभी की जा सकती है जब व्यक्ति पहले से शादीशुदा हो या उसकी शादी योग्य उम्र नहीं हो, या उनमें से एक की मानसिक स्थिति सही नहीं हो. उन्होंने कहा कि महेंद्रन द्वारा उठाई गई आपत्ति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और इसे खारिज किया जाता है.
युगल ने गत 12 जुलाई को विवाह के लिए आवेदन किया था और विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दिए जाने के 30 दिन के अंदर आपत्ति की जा सकती है. महेंद्रन ने इस आधार पर आपत्ति की थी कि अगर ये दंपत्ति विवाह के बाद इस पर्वतीय इलाके में रहता है तो वे वहां की कानून एवं व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं.
शर्मिला मार्च में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव में हार के बाद कॉटिन्हो के साथ इस इलाके में आ गईं थीं. इस चुनाव में उनकी पार्टी ‘पीपल्स रीसर्जन्स एंड जस्टिस एलांयस’ को बुरी तरह शिकस्त खानी पड़ी थी. 44 वर्षीय यह कार्यकर्ता तब सुर्खियों में आ गईं थी जब उन्होंने मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून 1958 को हटाने की मांग को लेकर चार नवम्बर 2000 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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