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This Article is From Dec 04, 2018

MP-MLAs के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले: SC ने कहा- बिहार और केरल हाईकोर्ट हर जिले में बनाए विशेष अदालत, जल्द पूरा करें ट्रायल

सुप्रीम कोर्ट ने केरल और बिहार हाईकोर्ट से कहा है कि वे अपने क्षेत्र के हर जिले में विशेष सेशन कोर्ट और विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन करें. इन अदालतों में ये केस दें और अदालतें प्राथमिकता के साथ केसों की सुनवाई करें.

MP-MLAs के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले: SC ने कहा- बिहार और केरल हाईकोर्ट हर जिले में बनाए विशेष अदालत, जल्द पूरा करें ट्रायल
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने केरल और बिहार हाईकोर्ट से कहा है कि वे अपने क्षेत्र के हर जिले में विशेष सेशन कोर्ट और विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन करें. इन अदालतों में ये केस दें और अदालतें प्राथमिकता के साथ केसों की सुनवाई करें. कोर्ट पहले पूर्व और मौजूदा सांसद/विधायकों के खिलाफ चल रहे उन 430 आपराधिक मामलों में ट्रायल को जल्द पूरा करें, जिनमें अधिकतम सजा उम्रकैद है. हाईकोर्ट वक्त-वक्त पर इसकी स्टेट्स रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट को देंगी. केरल में करीब 312 केस और बिहार मे 304 केस लंबित हैं. हालांकि, यूपी में सबसे ज्यादा 922 केस लंबित हैं. अब सुप्रीम कोर्ट 14 दिसंबर को सुनवाई करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले दो हाईकोर्ट ले रहे हैं, बाद में अन्य हाईकोर्ट देखे जाएंगे. इससे पहले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों के मामले में एमिक्स क्यूरी ने रिपोर्ट दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब में एमिक्स क्यूरी ने बताया कि वर्तमान और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4122 आपराधिक मामले लंबित हैं. एमिक्स क्यूरी विजय हंसरिया और स्नेहा कलिता ने राज्यों और हाईकोर्ट से प्राप्त आंकड़ों को जोड़कर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की गई है. 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों से पता चला है कि राजनेताओं के खिलाफ कुल 4122 आपराधिक मामले लंबित हैं. 1991 मामलों में आरोप तय नहीं गए हैं. 264 मामलों में हाइकोर्ट द्वारा ट्रायल पर रोक लगाई गई है. इनमें से कुछ तीन दशक से ज्यादा वक्त से लंबित हैं. 

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बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और हाइकोर्ट से विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों पर विस्तृत आंकड़ों की मांग की थी ताकि इन मामलों में जल्द ट्रायल पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना को सक्षम बनाया जा सके.

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