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This Article is From Dec 30, 2021

क्‍या भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ गई है? WHO की चीफ साइंटिस्‍ट ने NDTV को दिया यह जवाब..

सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने कहा कि ओमिक्रॉन से प्रभावित 100 में से केवल पांच लोगों को ही अस्‍पताल दाखिल होने की नौबत आ रही और इन पांच लोगों में भी लक्षण कम हैं'

सौम्‍या स्‍वामीनाथ ने कहा कि हमें कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर तैयारी रखनी होगी.

नई दिल्‍ली:

भारत में कोरोना के जो केस बढ़ रहे हैं वे ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण ही बढ़ रहे होंगे. हम इस बारे में एक्‍सपेक्‍ट कर रहे थे. ओमिक्रॉन के आने के बाद केस तेजी से बढ़ रहे हैं क्‍योंकि इसका डबलिंग टाइम दो से तीन दिन के बीच है.यह बात विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्‍ट सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने NDTV के साथ विशेष बातचीत में कही. सौम्‍या ने कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संबंधित तीन पहलू हैं. पहली बात तो यह कि यह ज्‍यादा संक्रामक है. डेल्‍टा वैरिएंट की तुलना में यह करीब चार गुना ज्‍यादा संक्रामक है. ऐसे में लोगों को ज्‍यादा सावधानी रखनी होगी, यदि कोई संक्रमित, दूसरे से मिलेगा. वैसे भी यह शादी-पार्टी का टाइम है, ऐसी स्थिति में बीमारी फैलने का जोखिम ज्‍यादा रहेगा. दूसरी बात जिसे उत्‍साहवर्धन माना जा सकता है, वह यह कि इस वैरिएंट के कारण लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे. डेल्‍टा वैरिएंट के कारण जहां ज्‍यादा लोगों को अस्‍पताल में भर्ती करने (करीब एक चौथाई) की नौबत आ रही थी वहीं ओमिक्रॉन में ऐसा नहीं है.ओमिक्रॉन से प्रभावित 100 में से केवल पांच लोगों को ही अस्‍पताल दाखिल होने की नौबत आ रही और इन पांच लोगों में भी लक्षण कम हैं'

सौम्‍या ने बताया तीसरा पहलू यह कि हम ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्‍सीन के असर को देख रहे हैं.  वैक्‍सीन बीमार होने से तो बचा रहा है. भले ही यह संक्रमित होने से नहीं बचाती लेकिन बीमार होने से बचाती है. ऐसे में जिन्‍होंने वैक्‍सीन के डोज नहीं लिए, वे जल्‍द लगवाएं. यह ओमिक्रॉन से सुरक्षा प्रदान करेंगा लेकिन साथ में मास्‍क और सोशल डिस्‍टेंसिंग भी जरूरी है. एक अन्‍य सवाल पर  विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्‍ट ने माना कि जीनोम स्‍वीक्‍वेंसिंग का रिजल्‍ट आने में वक्‍त लगता है. उन्‍होंने कहा कि जितने ज्‍यादा टेस्‍ट किए जाएंगे उतने ही मामलों की संख्‍या बढ़ेगी.जिन देश में टेस्टिंग ज्‍यादा हो रही, वहां केस ज्‍यादा आ रहे. जीनोम सीक्‍वेंसिंग का ट्रेंड हम देख सकते हैं. हर केस की जीनोम सीक्‍वेंसिंग  की जरूरत नहीं है. वायरस तो वही है और इसके प्रिवेशन मैथर्ड्स भी वहीं हैं. अब दवाएं भी तलाशी गई है लेकिन इन्‍हें डॉक्‍टर की सलाह पर ही लेना चाहिए. जिस तरह से सरकार ने कहा पैनिक न करें और जो उपाय पता हैं, उन्‍हें आजमाएं. मास्‍क पहने, बीमार हैं तो घर में रहे और भीड़भाड़ में न जाएं. 

क्‍या कोरोना की तीसरी लहर में हम आ गए है, इसके जवाब में सौम्‍या ने कहा कि इस बारे में आने वाले कुछ दिनों में पता लगेगा लेकिन अन्‍य देशों के ट्रेंड को देखें तो ऐसा कहा जा सकता है, हमें तैयारी करके रखनी होगी. भारत में  वैक्‍सीनेशन के सवाल पर कहा कि 50 फीसदी आबादी को फुली वैक्‍सीनेटे करना अच्‍छा टूल है. अलग-अलग वैक्‍सीन बने यह अच्‍छी बात है. ऐसे लोग जिनके संक्रमण की जद में आने की ज्‍यादा आशंका है, उनका टीकाकरण करना होगा. जल्‍द से जल्‍द दूसरा डोज देने और उम्रदराज लोगों को बूस्‍टर डोज पर भी ध्‍यान देने की जरूरत है. कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पर  बोझ बढ़ने की डब्‍ल्‍यूएचओ की चेतावनी को लेकर उन्‍होंने कहा कि डेल्‍टा वैरिएंट भी भी अभी पूरी तरह खत्‍म नहीं हुआ. अगर कोरोना के कारण बहुत ज्‍यादा संक्रमित  हुए तो हेल्‍थ स्‍ट्रक्‍चर पर बोझ पड़ सकता है. हमें इसके लिए तैयारी करके रखनी होगी.

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