मशहूर वकील सोली सोराबजी ने दिल्ली सरकार के इस फैसले का समर्थन किया कि विधानसभा में जनलोकपाल विधेयक को पेश करने से पहले केंद्र की पूर्व मंजूरी की कोई जरूरत नहीं है।
दिल्ली सरकार को दी अपनी राय में उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 के सदन के कामकाज संबंधी नियमों में 'गंभीर कानूनी खामियां' हैं, जिसके तहत कुछ खास तरह के विधेयकों को पेश करने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है।
दिल्ली सरकार ने उनसे पूछा था कि क्या टीबीआर का नियम संख्या 55 (1) संविधान का उल्लंघन करता है और क्या केंद्र सरकार को दिल्ली की एनसीटी सरकार अधिनियम की धारा 44 के तहत नियम बनाने की शक्ति है।
सोराबजी ने अपनी राय में कहा, 'मेरी राय में, इस नियम में गंभीर कानूनी खामियां हैं। न तो अनुच्छेद 239 एए और न ही जीएनसीटीडी कानून उपराज्यपाल को इसे केंद्र सरकार के पास भेजने की शक्ति या जरूरत बताता है।'
पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा कि विधेयक को पेश करने को लेकर संविधान या जीएनसीटीडी कानून के तहत कोई रोक या शर्त की अनुपस्थिति में टीबीआर नियम संविधान और जीएनसीटीडी कानून का 'उल्लंघन' करते हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं