
नई दिल्ली/कश्मीर:
किसी ने कश्मीर के बारे में ठीक ही कहा है कि अगर जमीं पर कहीं जन्नत है तो यहीं है.. यहीं है. कश्मीर की फिज़ा आजकल कुछ ऐसी ही है. हर तरफ जहां तक नजर जाए बर्फ की सफेद चादर ही नजर आती है. कहीं लोग बर्फ से खेलते नजर आते हैं तो कहीं स्लेज पर बैठ जन्नत का आनंद लेते.
छोटे-छोटे बच्चे बर्फ से कभी घर बनाते हैं.. तो खिलौने. देश-विदेश से आए सैलानी एक-दूसरे पर बर्फ के गोले फेंकते नज़र आते हैं... वो भी तब जब तापमान शून्य से नीचे होता है. भयानक सर्दी फिर भी जिंदगी का आनंद लेते हैं.

कश्मीर में बर्फबारी कोई पहली बार नहीं हुई है, लेकिन जब हालिया गोलाबारी की घटनाओं के बाद धरती का स्वर्ग लगता है एक बार फिर से लौट आया है. कश्मीर में जारी आतंकवाद की वजह से लोगों की जिंदगी तबाह हो गई थी. अब लगता है पुरानी रौनक फिर से लौट आई है. जहां, 2004 में कश्मीर में मात्र तीन लाख ही पर्यटक आए थे तो पिछले साल ये तादाद करीब 15 लाख को पार गई थी. उम्मीद जताई जा रही है इस बार आकंड़ा पिछले साल की तरह तो नहीं ,लेकिन बहुत कम भी नही रहेगा. इसकी वजह है कश्मीर का खुबसूरत होना.

कोई भी शख्स अगर घूमने की ख्वाहिश रखता है तो उसकी पहली पसंद कश्मीर ही होता है. सफेद चादर में लिपटे हुए गुलमर्ग और पहलगाम में जब कोई घूमता है तो उसे किसी फिल्मी सपने के पूरा होने से कम नहीं लगता.

गुलमर्ग में 2 से 3 फुट बर्फ पड़ी हुई है. पहलगाम में बर्फ गिरने का सिलसिला थमा नहीं है. सिर्फ गुलमर्ग या पहलगाम ही कश्मीर को धरती का स्वर्ग नहीं बनाते, बल्कि डल झील भी किसी से कम नहीं है. तैरते शिकारों पर गिरी बर्फ और करीब 95 प्रतिशत जम चुकी डल झील भी आने वालों के लिए सैलानियों के लिए सैरगाह बन चुके हैं.
(सभी तस्वीरें साभार इरशाद खान से ली गई हैं.)
छोटे-छोटे बच्चे बर्फ से कभी घर बनाते हैं.. तो खिलौने. देश-विदेश से आए सैलानी एक-दूसरे पर बर्फ के गोले फेंकते नज़र आते हैं... वो भी तब जब तापमान शून्य से नीचे होता है. भयानक सर्दी फिर भी जिंदगी का आनंद लेते हैं.

कश्मीर में बर्फबारी कोई पहली बार नहीं हुई है, लेकिन जब हालिया गोलाबारी की घटनाओं के बाद धरती का स्वर्ग लगता है एक बार फिर से लौट आया है. कश्मीर में जारी आतंकवाद की वजह से लोगों की जिंदगी तबाह हो गई थी. अब लगता है पुरानी रौनक फिर से लौट आई है. जहां, 2004 में कश्मीर में मात्र तीन लाख ही पर्यटक आए थे तो पिछले साल ये तादाद करीब 15 लाख को पार गई थी. उम्मीद जताई जा रही है इस बार आकंड़ा पिछले साल की तरह तो नहीं ,लेकिन बहुत कम भी नही रहेगा. इसकी वजह है कश्मीर का खुबसूरत होना.

कोई भी शख्स अगर घूमने की ख्वाहिश रखता है तो उसकी पहली पसंद कश्मीर ही होता है. सफेद चादर में लिपटे हुए गुलमर्ग और पहलगाम में जब कोई घूमता है तो उसे किसी फिल्मी सपने के पूरा होने से कम नहीं लगता.

गुलमर्ग में 2 से 3 फुट बर्फ पड़ी हुई है. पहलगाम में बर्फ गिरने का सिलसिला थमा नहीं है. सिर्फ गुलमर्ग या पहलगाम ही कश्मीर को धरती का स्वर्ग नहीं बनाते, बल्कि डल झील भी किसी से कम नहीं है. तैरते शिकारों पर गिरी बर्फ और करीब 95 प्रतिशत जम चुकी डल झील भी आने वालों के लिए सैलानियों के लिए सैरगाह बन चुके हैं.
(सभी तस्वीरें साभार इरशाद खान से ली गई हैं.)
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