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This Article is From Feb 12, 2015

1984 सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए एसआईटी गठित

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी का गठन किया है जो 1984 दंगों के पुराने मामलों की दुबारा से जांच करेगी। यह वे मामले हैं जिनकी जांच या तो पुलिस ने बंद कर दी थी या फिर मामले कोर्ट तक नहीं पहुंच पाए।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एसआईटी गठन करने का निर्देश गुरुवार शाम को निकाला। " इस एसआईटी में दो आईजी रैंक के पुलिस अफसर और एक रिटायर्ड जज हैं। इनके नाम प्रमोद अस्थाना, जज राकेश कपूर, कुमार ज्ञानेश हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि ये एसआईटी अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को छह महीने में सौंपेगी।

गृह मंत्रालय ने एसआईटी बनाने का फैसला जस्टिस जी पी माथुर की रिपोर्ट के आधार पर लिया। जस्टिस माथुर ने अपनी 225 पन्नों की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी थी जिसमें उन्होंने कहा है कि कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें फिर से जांच के दायरे में आना चाहिए, क्योंकि उनमें सबूतों को ठीक से परखा नहीं गया।

केंद्र सरकार ने जस्टिस माथुर समिति को जांच के लिए दिसंबर में नियुक्त किया था और तीन महीने का समय दिया था, लेकिन जस्टिस माथुर ने अपनी रिपोर्ट 45 दिनों में ही सौंप दी। सिख विरोधी हिंसा के कई पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने राजनैतिक दबाब में आकर कई मामले बंद कर दिए थे।

दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काफी लंबे वक्त से लड़ रहे एचएस फुल्का कहते हैं कि करीब 237 मामले हैं, जिन्हें पुलिस ने बंद कर दिया था। फुल्का कहते हैं, "कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के खिलाफ भी दो मामले हैं, जिनकी जांच दोबारा होनी चाहिए।"

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मारे जाने के बाद हुए दंगों में 3325 लोग मारे गए थे। इनमें से 2733 सिर्फ दिल्ली में मारे गए थे। बाकी हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मारे गए थे।

गौरतलब है कि जस्टिस नानावती द्वारा पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में से केवल चार को ही फिर खोलने की सिफारिश की गई थी लेकिन भाजपा चाहती थी कि अन्य सभी 237 मामलों की फिर से जांच हो।

उधर, केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर 2014 को 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के परिजनों को पांच लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। दंगा पीड़ितों के परिजनों को यह मुआवजा उस राशि के अतिरिक्त होगा जो वे सरकार और अन्य एजेंसियों से पहले हासिल कर चुके हैं। नए मुआवजे से सरकारी खजाने पर 166 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

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