New Delhi:
गुजरात दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट नहीं दी है। तहलका पत्रिका के ताज़ा अंक में एसआईटी की रिपोर्ट छापी गई है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट पिछले साल सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी और इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। पत्रिका में इसी रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि गुलबर्ग सोसाइटी और कई और जगहों पर मुसलमानों के खिलाफ हुई बर्बर हिंसा के दौरान सरकार ने वैसी कार्रवाई नहीं की जैसी होनी चाहिए थी। दो मंत्रियों अशोक भट्ट और जेके जडेजा को पुलिस कंट्रोल रुम में तैनात करना काफी विवादास्पद कदम रहा। जिन पुलिस अधिकारियों ने तटस्थ रुख अपनाया या हिंसा को रोकने की कोशिश की उनका महत्वहीन पदों पर तबादला कर दिया गया। गुजरात सरकार ने दंगों के दौरान के पुलिस वायरलेस रिकॉर्ड नष्ट कर दिए। इस दौरान का कोई रिकॉर्ड दस्तावेज़ या कानून व्यवस्था पर अहम बैठकों के मिनट्स नहीं रखे गए। एसआईटी को जांच के दौरान राज्य सरकार के एक मंत्री गोरधन झड़फिया के दंगों में शामिल होने के सबूत मिले हैं।