शिव सेना (Shiv Sena) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार पर भड़ास निकाली और कहा कि जिस तरह किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश हो रही है, वह देश की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि लाल किले पर तिरंगे का अपमान हुआ उससे पीएम दुखी हैं. देश भी दुखी है लेकिन तिरंगे का अपमान करने वाला दीप सिद्धू किसका आदमी है? उन्होंने पूछा कि सरकार क्यों नहीं ये बात बता रही है. राउत ने कहा कि अभी तक आपने दीप सिद्धू क्यों नहीं पकड़ा?
राउत ने सरकार पर आरोप लगाया कि आपने 200 किसानों को तिहाड़ जेल में देशद्रोह के आरोप में बंद कर दिया है. उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा युवा लापता हैं, क्या पुलिस ने इनका एनकाउंटर कर दिया? कुछ पता नहीं चल रहा है? क्या ये सभी सब देशद्रोही हैं? उन्होंने तीखे अंदाज में कहा, "बहुमत अहंकार से नहीं चलता है."
संजय राउत ने कहा, "पिछले दो महीने से ज्यादा समय से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान जमे हैं, उनकी बात आप नहीं सुनते, उन्हें गद्दार कहते हैं. जो कील, लोहे की दीवार, यहां बॉर्डर पर लगा रहे हैं, यदि वह लद्दाख में चीन के बॉर्डर पर लगाते तो चीन इतनी सीमा के अंदर नहीं घुस पाता." उन्होंने पूछा कि आज किसान अपने हक के लिए लड़ रहा तो वह खालिस्तानी हो गया, देशद्रोही हो गया, यह कौन सा न्याय है?
बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा ने चर्चा के दौरान कहा कि सदन के भीतर जिस कानून को आप किसानों के हक की बात बता रहे हैं उनके भले की बात बता रहे हैं, किसान को वो नहीं चाहिए. इसलिए सरकार तीनों कृषि कानून को तुरंत वापस ले.
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी राज्यसभा में कहा कि जिस समय सरकार तीनों कृषि कानून लेकर आई थी, तभी हम ने इस बात की मांग की थी कि इस कानून को सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए. आज यह कानून सेलेक्ट कमिटी में गया हुआ होता तो जो कुछ दिल्ली के बॉर्डर पर हो रहा है, वह आज नहीं होता.
प्रफुल्ल पटेल ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे बीजेपी नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि यह लोग लगातार शरद पवार जी द्वारा राज्यों को पत्र लिखे जाने का जिक्र कर रहे हैं लेकिन मैं आज यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह ड्राफ्ट बिल था, जिस पर चर्चा करने के लिए राज्यों को लिखा गया था. इस पर चर्चा होती लेकिन यह बिल कभी भी संसद में नहीं आया. यह पत्र उछाल कर गलत तरीके से बताया जा रहा है कि यूपीए सरकार में शरद पवार इस कानून को लाना चाह रहे थे, जो सरकार अभी लेकर आई है.
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