
शिवसेना अपनी पूर्व सहयोगी भाजपा पर आज कृषि बिल पर चर्चा के दौरान हमलावर रही. भाजपा के बार-बार आश्वासन देने पर कि विधेयकों का उत्पादन के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जो कि किसानों के लिए चिंता की बड़ी वजह है. चर्चा के दौरान शिवसेना ने सवाल किया कि क्या अकाली दल ने सिर्फ एक "अफवाह" के आधार पर सरकार छोड़ दी.
अकाली दल, जो कि भाजपा का सबसे पुराना साथी है, ने शुरू में बिलों का समर्थन तो किया लेकिन पिछले हफ्ते सरकार से बाहर चले गए. उन्होंने कहा कि इस विषय पर भाजपा के साथ दो महीने की चर्चा से कोई फर्क नहीं पड़ा है. पार्टी किसानों और कांग्रेस के दबाव में है. अकाली दल ने यह भी कहा कि बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर एक आंतरिक बैठक में समीक्षा की जाएगी.
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आज शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में एमएसपी की व्यवस्था खत्म नहीं होगी और इसे लेकर अफवाह फैलाई जा रही है ... तो क्या शिरोमणि अकाली दल ने केवल सरकार से इस्तीफा दे दिया है इस अफवाह के आधार पर? ”
राउत ने कहा,"इन कानूनों के माध्यम से, आप दो अलग-अलग बाजार बना रहे हैं - बाजार के अंदर और बाजार के बाहर ... धीरे-धीरे कुछ सिस्टम कॉर्पोरेट हाथों में जा रहा है."
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राउत ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार "देश को आश्वस्त कर सकती है कि कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा."
भाजपा इस बात पर जोर देती रही कि किसान व्यापार और वाणिज्य विधेयक, और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, "ऐतिहासिक" हैं और किसानों के जीवन में बदलाव लाएंगे. उच्च सदन में बिल पेश करने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी सरकार के इस आश्वासन को दोहराया कि बिलों का एमएसपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
तोमर ने कहा, "एमएसपी पहले की तरह जारी रहेगा. मैंने लोकसभा में कहा था और पीएम मोदी ने खुद भरोसा दिलाया है कि एमएसपी के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी."
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