![दया याचिका खारिज करने के बाद सो नहीं पाते थे प्रणब मुखर्जी, बेटी ने बयां किया उनका दर्द दया याचिका खारिज करने के बाद सो नहीं पाते थे प्रणब मुखर्जी, बेटी ने बयां किया उनका दर्द](https://c.ndtvimg.com/2020-12/lk5gjrpo_pranabmukherjee_640x480_11_December_20.jpg?downsize=773:435)
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee ) की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि उनके पिता ने हर दया याचिका के मामले का ‘गहनतापूर्वक विचार करने' के बाद निपटान किया. उन्होंने अपने पिता की पुस्तक ‘द प्रेसिडेंसियल इयर्स' के लोकार्पण के दौरान कहा कि दया याचिकाओं में राष्ट्रपति आखिरी उम्मीद होते हैं इसलिए उसमें ‘‘मानवीय दृष्टिकोण'' होता है.
शर्मिष्ठा ने कहा, ‘‘इसलिए वहां बैठा व्यक्ति कैसा महसूस करता है, जब वह जानता है कि एक हस्ताक्षर से वह (किसी की तकदीर) तय करने जा रहा है? इसलिए निश्चित ही, मैंने इस पीड़ा को महसूस किया, और जब मैं पूछती थी तब वह कहते थे, ‘मैं रात में सो नहीं सकता. एक बार में जब मैं खारिज कर देता हूं... (तब) मैं रात को सो नहीं सकता.''
उन्होंने कहा कि वह हर मामले में बहुत ही बारीकी से चीजों को देखते थे और बहुत गहनतापूर्वक हर मामले को निपटाते थे. 2012-17 तक राष्ट्रपति रहे मुखर्जी ने 26/11 मुम्बई हमले के गुनहगार आतंकवादी अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की दया याचिकाओं का निपटान किया था. शर्मिष्ठा ने पुस्तक से पिता को उद्धृत किया कि सजा उन्होंने नहीं दी बल्कि न्यायतंत्र ने दी.
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