नई दिल्ली : वर्ष 2012 में 'उत्कृष्ट सांसद' का पुरस्कार जीतने वाले जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने शुक्रवार को संसद में एक चर्चा के दौरान महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया, और बाद में उस पर खेद जताने से भी इनकार कर दिया।
शुक्रवार को राज्यसभा में बीमा बिल पर चर्चा के दौरान जेडीयू नेता ने अचानक ही दक्षिण भारतीय महिलाओं के बारे में बात करते हुए कहा, दक्षिण भारत की महिलाएं सांवली तो ज़रूर होती हैं, लेकिन उनका शरीर खूबसूरत होता है, उनकी त्वचा सुंदर होती है, वे नाचना भी जानती हैं। उन्होंने कहा, भारतीय लोग गोरी चमड़ी के आगे किस तरह सरेंडर करते हैं, यह निर्भया पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली लेस्ली अडविन के किस्से से पता चलता है। तिहाड़ जेल में डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली अडविन जहां-जहां गई होंगी, जो-जो उनके मन में आया होगा, वह उन्होंने किया होगा। पूरा देश गोरे रंग के आगे सरेंडर किए रहता है। यहां तो सफेद रंगत देखकर लोग दंग रह जाते हैं। शादी के विज्ञापनों में भी लिखा रहता है, गोरी लड़की चाहिए। अरे, आपके भगवान भी सांवले थे। राम सांवले थे, कृष्ण भी श्यामवर्ण थे।
दरअसल, राज्यसभा में बीमा बिल पर चर्चा के दौरान जब शरद यादव बोलने के लिए उठे तो उन्होंने अचानक ही विदेशी निवेश को 26 से 49 फीसदी करने के प्रस्ताव को गोरी चमड़ी को लेकर भारतीयों की सनक से जोड़ दिया। इतना ही नहीं, शरद यादव जब यह टिप्पणी कर रहे थे, बहुत-से सांसदों की ओर से विरोध के स्थान पर हंसी छूट रही थी। इस टिप्पणी पर बहुत-से सांसद ठहाके लगा रहे थे, लेकिन महिला सांसदों की ओर से विरोध के स्वर भी सुनाई दिए। बाद में यादव ने अपनी टिप्पणी का यह कहते हुए बचाव भी किया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है।
उल्लेखनीय है कि शरद यादव ने इससे पहले भी महिला आरक्षण बिल के वक्त संसद में कहा था, इस विधेयक के जरिये क्या आप 'परकटी औरतों' को सदन में लाना चाहते हैं। उस वक्त भी उन्हें महिला संगठनों की ओर से कड़ा विरोध झेलना पड़ा था, और माफी मांगनी पड़ी थी।
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