सोनिया गांधी को 2004 में शरद पवार को बनाना चाहिए था प्रधानमंत्री, बोले केंद्रीय मंत्री अठावले 

अठावले ने कहा, जब 2004 में यूपीए को बहुमत मिला था तो उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए. मेरा मानना था कि विदेशी मूल का होना कोई मुद्दा नहीं है.

सोनिया गांधी को 2004 में शरद पवार को बनाना चाहिए था प्रधानमंत्री, बोले केंद्रीय मंत्री अठावले 

Ramdas Athawale ने कई मुद्दों पर रखी अपनी बात

इंदौर:

केंद्रीय मंत्री और आरपीआई अठावले गुट के प्रमुख रामदास अठावले ( Ramdas Athawale ) ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की बजाय शरद पवार (Sharad Pawar) को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था. कांग्रेस के नेतृत्व में 2004 में यूपीए की सरकार बनी थी और तब पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया था. कमला हैरिस का जिक्र करते हुए  अठावले ने एएनआई से बातचीत में यह भी कहा, सोनिया गांधी को यूपीए (UPA) के सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री बनना चाहिए था. अगर कमला हैरिस अमेरिका की उप राष्ट्रपति बन सकती हैं तो सोनिया गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकतीं. वो एक भारतीय नागरिक हैं, वो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी और लोकसभा सांसद भी हैं, तो वो पीएम क्यों नहीं बन सकतीं?

बीजेपी की सहयोगी पार्टी के नेता अठावले ने कहा कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा बेमतलब है. इंदौर में संवाददाताओं से बातचीत में अठावले ने कहा, जब 2004 में यूपीए को बहुमत मिला था तो उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए. मेरा मानना था कि विदेशी मूल का होना कोई मुद्दा नहीं है. अठावले अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर सोनिया गांधी इस पद पर नहीं बैठना चाहती थीं तो उन्हें शरद पवार को यह जिम्मेदारी देनी चाहिए थी, लेकिन सोनिया गांधी ने ऐसा नहीं किया.

अठावले ने कहा कि अगर कांग्रेस में 2004 में पवार को प्रधानमंत्री मजबूत बनाया जाता तो कांग्रेस ऐसी दयनीय हालत में नहीं होती. गौरतलब है कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के पहले 10 साल यूपीए का शासन रहा, जिसमें मनमोहन सिंह (Manmohan Singh)प्रधानमंत्री थे.

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विदेशी मूल के मुद्दे पर सोनिया गांधी का विरोध करने पर पवार को कांग्रेस से निकाल दिया गया था. वर्ष 1999 में पवार ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया. हालांकि तब से कांग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर महाराष्ट्र में कई चुनाव लड़ चुके हैं. मौजूदा समय में महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ कांग्रेस औरएनसीपी गठबंधन सरकार में शामिल हैं.