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This Article is From Sep 24, 2015

किसानों की हालत जानने निकले शरद पवार की हालत सवालों ने की खराब

किसानों की हालत जानने निकले शरद पवार की हालत सवालों ने की खराब
शरद पवार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: विदर्भ में किसानों की हालत जानने के लिए दौरे पर निकले शरद पवार आड़े-तिरछे सवालों का सामना करते समय अपना आप खो बैठे। महाराष्ट्र के यवतमाल में यह वाकया सामने आया।

किसानों ने व्यथा सुनाई और सवाल किए
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार बुधवार को यवतमाल जिले के पिम्पलबोरी गांव में किसानों की हालत जानने के लिए पहुंचे। उनके साथ पार्टी के स्थानीय नेता और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख भी थे। गांव में पहुंचकर वहां एक मंडप में शरद पवार ने किसानों से मंत्रणा शुरू की। इस दौरान एक किसान ने खड़े होकर अपनी व्यथा पवार के सामने रखी।

किसान ने भारी मन से सीधे शरद पवार से पूछा कि, केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए आपने खाद से सब्सिडी क्यों हटाई? इतना ही नहीं, किसान ने आगे बढ़कर पवार पर सीधा सवाल दाग दिया कि, यहां के बांध 10 साल से अधूरे क्यों पड़े हैं। पवार किसान के इन सीधे सवालों से हैरान दिखे। उन्होंने अपना पक्ष जैसे-तैसे रख दिया। लेकिन सवाल पवार का पीछा करते रहे।

पत्रकारों के सवालों से घिरकर कह 'जाओ मुझे आपसे बात नहीं करनी'
किसानों से मुलाकात करके पवार जब संवाददाता सम्मलेन में पहुंचे तो वहां भी यही हुआ। पवार आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को मदद देने के सरकारी प्रयासों को लेकर मौजूदा सरकार को घेर ही रहे थे कि एक पत्रकार ने उनके सामने सवाल खड़े कर दिए। भरी प्रेस कांफ्रेंस में जब पवार को संवाददाता ने बताया की मदद के लिए सरकारी व्यवस्था उन्हीं की सरकार ने बदली थी तो पवार को चुप रहना पड़ा। इसके बाद सवालों बौछार बढ़ती देखकर पवार का संयम जवाब दे गया। वे तड़ाक से बोले, जाओ मुझे आपसे बात नहीं करनी।

भाजपा ने आईना दिखा दिया
इस बीच बीजेपी ने शरद पवार के दो बयान रिलीज किए। यह बयान बताते हैं कि, 2008 में शरद पवार ने संसद में कहा था कि अब किसानों को कर्ज माफी नहीं मिलेगी। जबकि 2011 में विदर्भ के अकोला में वे किसानों को सलाह देते देखे गए थे कि किसानों को कर्ज चुकाने की आदत भी डालनी होगी।

महाराष्ट्र बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता माधव भंडारी ने इन बयानों का हवाला देते हुए पवार से सवाल किया कि, उनकी पार्टी की सत्ता के 15 साल में विदर्भ में सिंचाई के लिए तय रकम ठीक से खर्च होती तो क्या विदर्भ के किसान आत्महत्या करते?

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