
बाहुबली नेता शहाबुद्दीन पर तकरीबन 40 आपराधिक मामले दर्ज हैं
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देर रात सिवान जेल के बाहर लगा शहाबुद्दीन समर्थकों का जमघट
'राइट टू फेयर ट्रायल' आरोपी के लिए नहीं बल्कि 'पीड़ित' के लिए
तिहाड़ जेल से ही मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से होगी
जानकारी के मुताबिक शहाबुद्दीन को देर रात कड़ी सुरक्षा के बीच सिवान से पटना लाया गया था. शनिवार की सुबहल पुलिस उन्हें लेकर पटना से दिल्ली के लिए रवाना हो गई. उन्हें ट्रेन से दिल्ली लाया जा रहा है. सिवान से पटना ले जाए जाने की सूचना पर पड़ी संख्या में उनके समर्थक देर रात को ही सिवान जेल के आसपास जुट गए.
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि शहाबुद्दीन को एक हफ्ते के भीतर बिहार की सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल लाया जाए. ट्रांसफर के दौरान उसे कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा. सिवान की ट्रायल कोर्ट में चल रहे 45 मामले वहीं चलते रहेंगे जिनकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान का 'राइट टू फेयर ट्रायल' सिर्फ आरोपी के लिए नहीं बल्कि 'पीड़ित' के लिए है. यहां सिर्फ सवाल आरोपी के अधिकारों का नहीं है बल्कि पीड़ितों के स्वतंत्रता से जीवन जीने के अधिकार का भी है.
आरोपी शहाबुद्दीन की इस दलील से कोर्ट सहमत नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट को किसी को दूसरे राज्य में जेल ट्रांसफर नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट की ये जिम्मेदारी है कि वह हर केस में 'फ्री एंड फेयर ट्रायल' को सुनिश्चित करे.
राजदेव रंजन के परिवार ने दाखिल की थी याचिका
मोहम्मद शहाबुद्दीन और उनके खिलाफ मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और तीन बेटों को गंवा चुके चंद्रेश्वर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर शहाबुद्दीन को बिहार से तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने की मांग की थी. इससे पहले पिछले साल 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जमानत रद्द करते हुए शहाबुद्दीन को वापस जेल भेज दिया था.
हालांकि शहाबबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. मीडिया ने उनके मामले को बड़ा तूल दिया है. अगर उनको तिहाड़ जेल भेजा जाएगा तो उनके अधिकारों का हनन होगा.
पप्पू यादव को बनाया आधार
याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि जिस तरफ पप्पू यादव को बिहार की जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में ट्रान्सफर किया गया था और मामले की सुनवाई बिहार में ही हो रही थी, उसी तरह शहाबुद्दीन को बिहार से तिहाड़ जेल ट्रांसफर कर मामले की सुनवाई बिहार में ही की जा सकती है.
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