बच्चों को भड़काकर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं अलगाववादी, बोलीं महबूबा मुफ्ती

बच्चों को भड़काकर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं अलगाववादी, बोलीं महबूबा मुफ्ती

जम्‍मू कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)

खास बातें

  • ऐसे नेताओं की जरूरत है जो बच्चों के भविष्य और शिक्षा को तरजीह दें
  • अलगाववादी चाहते हैं कि बच्चों को चोट पहुंचे ताकि माहौल सामान्य न हो
  • वे गरीबों के बच्‍चों का इस्तेमाल ढाल के तौर पर कर रहे हैं
उधमपुर:

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों को आड़े हाथ लेते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि वे घाटी में स्कूल इसलिए नहीं चलने दे रहे हैं क्योंकि वे अनपढ़ युवाओं की एक ऐसी नई पीढ़ी चाहते हैं जो पत्थरबाजी कर सकें और उनका इस्तेमाल आग में घी डालने के लिए किया जा सके.

महबूबा ने कहा कि अलगाववादी गरीब परिवारों के बच्चों को सेना के शिविरों, पुलिस थानों और सीआरपीएफ शिविरों पर हमला करने के लिए भड़काकर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं जबकि उनके अपने बच्चे सुरक्षित हैं.

उन्होंने यहां पुलिस अधिकारियों की पासिंग आउट परेड में अलगाववादियों पर तीखा हमला किया और कहा, ‘यदि युवा शिक्षित हो जाएंगे तो वे उनके लिए पथराव नहीं करेंगे. अलगाववादी नेतृत्व एक ऐसी पीढ़ी चाहता है जो उनके लिए पथराव कर सके.’

उन्होंने कहा, ‘आज मैं देखती हूं कि बड़े नेता महसूस करते हैं कि यदि स्कूल खुलें, गरीब बच्चों को शिक्षा मिलेगी और उसके बाद उनके पास पथराव करने का समय नहीं होगा या वे उसके लिए तैयार नहीं होंगे.’ महबूबा ने कहा कि ऐसे नेताओं की जरूरत है जो बच्चों के भविष्य और शिक्षा को तरजीह दें, ऐसे नेताओं की जरूरत नहीं जो उनका इस्तेमाल आग में घी डालने के लिए करें. उन्होंने कहा, ‘तीन महीने तक हमारे स्कूल बंद रहे, हमने प्रयास किया और केंद्र ने भी बड़ा प्रतिनिधिमंडल भेजा.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे गृह मंत्री (राजनाथ सिंह) तीन बार आये, हमारे वित्त मंत्री (अरुण जेटली) वहां गए और एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिलने के लिए गया लेकिन उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिये. मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा, ‘कश्मीर का तीन दिवसीय दौरा पूरा करने वाले यशवंत सिन्हा के नेतृत्व वाले नागरिक समाज के प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध का जवाब दो स्कूलों को जलाकर दिया गया.’

उन्होंने कहा, ‘एक नागरिक समाज प्रतिनिधिमंडल उनसे (अलगाववादियों) मिलने के लिए गया और उन्होंने उनके लिए दरवाजे खोले. दल ने उनसे अनुरोध किया कि बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है और भगवान के लिए स्कूल चलने में मदद करें और जवाब दो स्कूलों को जलाने के तौर पर मिला.’ ऐसे में जब घाटी में अशांति 100 से अधिक दिन से जारी है, उन्होंने आरोप लगाया कि अलगाववादी चाहते हैं कि बच्चों को चोट पहुंचे ताकि माहौल सामान्य नहीं हो पाये.

महबूबा ने कहा, ‘वे सोचते हैं कि गरीबों के बच्चे मरे. वे चोटिल हों या उनकी मृत्यु हो तो क्या, वे अमीरों के बच्चे थोड़े ही हैं. यह हमारे लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि अभी तक उन्होंने बंदूक गरीबों के बच्चों को थमायी हैं और अब वे उनका इस्तेमाल ढाल के तौर पर कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मारे गए या घायल हुए व्यक्तियों में से 99 प्रतिशत छोटे बच्चे हैं, उनमें से एक भी अमीर परिवार का नहीं, उसमें उन नेताओं का एक भी बच्चा घायल नहीं हुआ है, केवल गरीब बच्चे हुए हैं.’

सीएम ने कहा, ‘बच्चे अब बंदूक उठाने को तैयार नहीं. अब वे अनपढ़ बच्चों की एक ऐसी पीढ़ी चाहते हैं जो उनके लिए पथराव कर सकें, न केवल पथराव करें बल्कि उस प्रक्रिया में अपना जीवन भी गंवा दें.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया कि छात्राएं स्कूल जाना चाहती हैं लेकिन वे डरती हैं कि पथराव करने वाले जब उन्हें सफेद वर्दी में देखेंगे तो उन पर हमला करेंगे.’ उन्होंने राज्य के पुलिस बल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्दीधारी पुरुष और महिलाएं सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें देश की सेवा करने का मौका मिला.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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