भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता दामोदर राउत (Damodar Rout) ने बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने वजह बताते हुए कहा कि 21 अक्टूबर को बीजापुर विधानसभा में होने वाले उपचुनाव (Bijepur Bypoll) से पहले पार्टी की गतिविधियों में उन्हें शामिल नहीं किया गया. राउत इस वर्ष मार्च में सत्तारूढ़ दल बीजद से निकाले जाने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे. उन्होंने BJP की राज्य इकाई के अध्यक्ष बीके पांडा को अपना इस्तीफा भेजा. राउत ने पत्र में लिखा, 'मुझे लगता है कि पार्टी को आम चुनावों के बाद अपने राजनीतिक कार्यक्रमों और नीति-निर्माण प्रक्रिया में मेरी भागीदारी की आवश्यकता नहीं है. मैं इस बात से आहत हूं.'
पत्र के अनुसार पार्टी में उनकी प्रासंगिकता को बनाकर नहीं रखते हुए, उन्हें सक्रिय राजनीति से दूर होने पर मजबूर किया गया. वह 35 साल तक ओडिशा विधानसभा के सदस्य रहे और सात बार कैबिनेट मंत्री भी रहे. राउत को बलिकुड़ा-रसम विधानसभा क्षेत्र से 2019 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2019 में उन्होंने पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बीजापुर उपचुनाव से पहले भाजपा छोड़ने वाले पूर्व विधायक अशोक कुमार पाणिग्रही के बाद राउत दूसरे नेता हैं.
पारादीप के पूर्व विधायक राउत ने पत्र में उल्लेख किया कि तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाने के कारण सितंबर 2018 में उन्हें बीजद से निष्कासित कर दिया गया था. राउत ने कहा कि बीजापुर उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों में उनका नाम शामिल नहीं किया गया. राउत ने इस बात पर निराशा जताई कि भाजपा ने उनके अनुभव का उपयोग नहीं किया. नेता ने कहा कि वह दिवंगत बीजू पटनायक की विचारधारा को ध्यान में रखते हुए जनता के लिए काम करना चाहते हैं. इसलिए, वह भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. राउत ने कहा, 'मुझे पार्टी और उसके नेताओं से कोई शिकायत नहीं है.'
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